जिंदगी को गुदगुदाते शब्द | विमोचन | अनूप कुमार | हिन्दी श्री पुब्लिकेशन

जिंदगी को गुदगुदाते शब्द

अनूप कुमार की ‘जिन्दगी को गुदगुदाते शब्द’ का विमोचन हुआ।
आधुनिक काव्य लेखन के लिए आज के समय का अध्ययन जरूरी- भोलानाथ कुशवाहा।
‘जिन्दगी को गुदगुदाते शब्द’ शब्दों की अभियांत्रिकी- अरविंद अवस्थी
मिर्जापुर के वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा की अध्यक्षता में आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम में अनूप कुमार द्वारा रचित जिंदगी को गुदगुदाते शब्द पुस्तक का विमोचन मिर्जापुर से किया गया। मुख्य अतिथि कैलिफोर्निया से हेमंत कुमार रहे। विशिष्ट अतिथियों में पुणे से नेहा सिंह मुंबई से वेद प्रकाश प्रजापति व मिर्ज़ापुर से अरविंद अवस्थी उपस्थित रहे। सभी ने पुस्तक ‘जिंदगी को गुदगुदाते शब्द’ के लिए अनूप कुमार को

बधाई दी। कार्यक्रम का संचालन आनंद अमित ने बड़ी कुशलता से किया। 2 घंटे चले इस लोकार्पण कार्यक्रम को विभिन्न भाव और मुद्राओं के साथ जोड़कर लाइव प्रसारित किया गया जिसे सैकड़ों लोगों ने देखा व अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर उत्साहित किया। अध्यक्षता कर रहे भोलानाथ कुशवाहा ने अपने संबोधन में कहा कि आधुनिक काव्य लेखन के लिए आज के समय का अध्ययन कर उस पर लिखा जाना चाहिए तभी वह नई पीढ़ी को स्वीकार्य होगा। अनूप कुमार जी ने अपनी काव्य संग्रह में बहुत सारे आज के नए विषयों को भी उठाया है। मुख्य अतिथि हेमंत कुमार ने कहा कि अनूप कुमार का कविता लेखन का प्रयास सराहनीय है और इनकी कविताओं को पढ़कर लगता है कि यह बहुत आगे तक उन्नति करेंगे और साहित्य में अपना योगदान अवश्य करेंगे। अरविंद अवस्थी ने कहा की शब्द ब्रह्म है। अनूप कुमार ने ‘जिन्दगी को गुदगुदाते शब्द’ पुस्तक में शब्दों की अभियांत्रिकी बड़ी कुशलता से प्रस्तुत की है। वेद प्रकाश प्रजापति ने कहा-मैं इनके लेखन से बहुत प्रारंभ से जुड़ा हूं और अनूप जी एक बेहतर रचनाकार हैं क्योंकि इनकी कविताओं में आज का समय बोलता है। नेहा सिंह ने अनूप कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि मैं उनके निजी जीवन से भी जुड़ी रही हूं वह जिस क्षेत्र में लगते हैं पूरी सामर्थ्य के साथ उसे निभाते हैं इसलिए कविता लेखन के क्षेत्र में भी उनकी गहरी पैठ दिखाई पड़ रही है। अंत में सभी अतिथियों ने काव्य पाठ कर कार्यक्रम को काव्यमय बना दिया जिसकी ऑनलाइन स्रोताओं ने अपनी प्रतिक्रिया कर भूरि-भूरि प्रशंसा की। श्रोताओं में आयुष्मती आयुष, बेबाक जौनपुरी, महेश चंद्र मिसिर, हरिभूषण शुक्ल, चंदन केसरी आदि उपस्थित रहे।

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