जीवन का अँधियारा हरने सूरज उगता है
“पाइप से पौधे नहलाएँ” बाल कविता संग्रह का हुआ विमोचन
मीरजापुर,
उत्तर प्रदेश साहित्य सभा, मीरजापुर इकाई के तत्वावधान में अनगढ़ में विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर पुस्तक लोकार्पण एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जौनपुर से आये चर्चित नवगीतकार- बाल साहित्यकार योगेन्द्र प्रताप मौर्य के बाल कविता संग्रह ‘पाइप से पौधे नहलायें’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार गणेश गम्भीर ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध गीतकार लल्लू तिवारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन शुभम् श्रीवास्तव ओम ने किया। इस अवसर पर अतिथि रचनाकार योगेन्द्र प्रताप मौर्य को उनके लेखकीय अवदान के लिए हिंदी श्री सम्मान से उपस्थित साहित्यकारों गणेश गम्भीर, लल्लू तिवारी, आनन्द अमित आदि द्वारा माल्यार्पण, अगवस्त्र एवं सम्मान पत्र प्रदान कर किया गया।
कार्यक्रम का आरम्भ उपस्थित रचनाकारों द्वारा माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। कवि गोष्ठी की शुरुआत में युवा कवि श्याम अचल द्वारा शक्ति वन्दना प्रस्तुत की गयी। तत्पश्चात् उन्होंने पढ़ा-
बनके पानी मिले रहो सब में
है सरल भी नहीं सरल होना।
जनपद के युवा ग़ज़लकार मयंक द्विवेदी ‘नाराज़’ ने पढ़ा-
आईना आईना नहीं होता,
सच अगर बोलता नहीं होता।
युवा कवयित्री सृष्टि राज ने अपनी समसामयिक रचना पढ़ी-
राष्ट्रपिता कह-कहकर बस, नाता भर जोड़ा जाता है।
हे बापू! तेरे सपनों को, हर दिन ही तोड़ा जाता है।
गोष्ठी में अतिथि रचनाकार योगेन्द्र प्रताप मौर्य ने अपना नवगीत पढ़ा-
हाथ नहीं हैं, पाँव नहीं हैं
पर जीवटता है
जीवन का अँधियारा हरने
सूरज उगता है।
चर्चित कवि-ग़ज़लकार आनन्द अमित ने लोकार्पित पुस्तक पर विचार रखते हुए अपनी ग़ज़ल की पंक्तियाँ पढ़ी-
दबी-दबी है ज़ुबान अब भी, कफ़स में है तो गुनाह ही है,
खुली ज़ुबाँ से नई इबारत, नई कहानी गढ़ो तो साहब!
संचालन कर रहे नवगीतकार शुभम् श्रीवास्तव ओम ने सुनाया-
ये दुनिया एक जलसाघर अजब है
सुनाते सब, न सुनता पीर कोई।
प्रसिद्ध हिन्दी-भोजपुरी कवि लल्लू तिवारी ने पढ़ा-
बहुत अफ़सोस गहरा है मुझे इस बात का लल्लू,
नहीं लिख पाया तुलसी की तरह कुछ राम की खातिर।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार गणेश गम्भीर ने लोकार्पित पुस्तक पर समीक्षात्मक टिप्पणी करते हुए रचनाकार के प्रति शुभकामना व्यक्त की। काव्य-पाठ के दौरान उन्होंने पढ़ा-
बोलना है जो उन्हें अच्छा लगे
कोई ऐसा झूठ जो सच्चा लगे।
कार्यक्रम के अन्त में उत्तर प्रदेश साहित्य सभा की ओर से श्याम अचल द्वारा उपस्थित साहित्यकारों के प्रति आभार ज्ञापित किया गया। इस दौरान सावित्री कुमारी, अशोक केशरी, अंकुर आज़ाद, मयंक प्रजापति, भृगु कुमार आदि उपस्थित रहे।