3. पापा
पापा ने पहली बार गोंद उठाया
ये नहीं है याद मुझे,
मेरी उदासीनता में ढाढस बढ़ाया
वो वक्त है याद मुझे l
गोंद में लेकर, बाग घुमाना
वो अनुभूति नहीं याद मुझे l
कंधे पर बिठाकर मेला दिखाना
वो आनन्द है याद मुझे l
दूर होने पर, चिठ्ठी ना मिलना
वो चिंता है याद मुझे
खबरें इसकी सबमें बाटना
वो मंशा है याद मुझे l
पढ़ लिखकर काबिल बन जाऊ
वो विचार है याद मुझे
गलती करने पर डांट ना खाऊ
वो बहाना है याद मुझे l
बिठाकर पीठपर घोड़ा बनजाना
वो हँसी कहाँ याद मुझे
हमारी तकलीफो का हल ढूढ़ना
वो बेचैनी है याद मुझे l
उंगली पकड़कर चलना सिखाया
वो क्षण नहीं याद मुझे l
खिलौनों के ज़िद में आँसू बहाना
है धुँधला सा याद मुझे l
बालपन में रूठना, उनका मनाना
वो कारनामा नहीं याद मुझे
मेरी खुशियों में खुशियाँ मनाना
वो जजबा है याद मुझे l
तोतली वानी से बोलना सिखाया
वो कहाँ है याद मुझे
पर शिष्टाचार का पाठ सिखाया
वो लम्हा है याद मुझे
-वेद प्रकाश

4. पिता
मेरे पापा थे
ओढ़े जिम्दारियों को
खुश रहते।1।
सीधे सादे थे
धर्मिक विचार के
राम भक्त थे।2।
सिखाया पाठ
अनुशासन मंत्र
कार्य पूर्ण रे ।3।
हौसला देते
जीवन एक जंग
बडो आगे रे।4।
ज्ञान से जीतो
हर मुश्किल दूर
धर्य रखो रे ।5।
सत्य बोलो रे
बिगड़े काम होते
संम्भव भी रे।6।
पापा होते
खुशियों का खजाना
नमन पापा।7।
-आयुष्मति (आयुष)
