8. पिता
पिता का अथाँह प्यार ,आप नहीं जान सको ,
खुद की न सोचता वो , देव बन जाइये I
सुख में हँसाए हमें , दुःख न बताए हमें ,
जिसपे हो नाज सदा , मत ठुकराइये I
उनकी जरूरतों को , कभी नहीं जान पाए,
माँग पूर्ति में ही सदा , उमर गँवाई ये I
पिता का हो छत्र जब , दुःख हर जाएँ सब ,
“माधव” कभी भूल से , मत ठुकराइये l