जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी।
सबके विपत्ति हरो हैं ,जय बागेश्वर जी
जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी।
पान, फूल अरु मोदक भाते अरु मेवा।
सब सन्तन मिल करते,बाला की सेवा।।
जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी।
सब भक्तन पे तुम्हरो दृष्टि गड़ी रहती।
रात्रि-दिवस कोई हो कोइ घड़ी रहती।।
जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी।
अनुकम्पित,अनुरागी जो इहवाँ आया।
खाली हाथ न लौटा झोली भर पाया।।
जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी।
भक्त धीरेन्दर को तुम दूत बना भेजा।
जा विदेश में झण्डा लहराओ तेजा।।
जय-जय बागेश्वर जी…………..
कल-कल करती धारा,भक्ति नदी बहती।
दर्शन जो पा जाता,व्याधि सभी छँटती।।
जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी।
केस-मुकदमा जीते बाला कीर्तन से
भूले-भटके लौटें मिलते परिजन से
जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी।
आरती जो कोइ गाता मेरे बाला की।
साहित्य कहे चाभी मिल जाती ताला की।।
जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी।
-शिव प्रकाश’साहित्य’
ग़ाज़ीपुर(उ० प्र०)
स०सू०-6392041669