शैलेश मुसाफ़िर के पहले काव्य संग्रह ‘तुम्हारे बिना’ का भव्य विमोचन समारोह

तुम्हारे बिना
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संकट मोचन विद्यालय में हिंदी दिवस के अवसर पर साहित्य और संस्कृति के संगम का अनोखा दृश्य देखने को मिला, जब प्रसिद्ध गीतकार शैलेश मुसाफ़िर के पहले काव्य संग्रह ‘तुम्हारे बिना’ का भव्य विमोचन समारोह सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर जिले के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, शिक्षाविदों और पाठ्यपुस्तक लेखकों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।

विमोचन समारोह में विशेष रूप से आमंत्रित जो जिले के सम्मानित पाठ्य पुस्तक लेखक सर्वेश कान्त वर्मा ‘सरल’ ने संग्रह के विषय-वस्तु और शैलेश मुसाफ़िर की लेखनी की तारीफ़ करते हुए कहा कि “यह संग्रह पाठकों को दिल से जोड़ने में सक्षम है, और इसमें प्रेम, विरह और जीवन की विभिन्न भावनाओं को बखूबी प्रस्तुत किया गया है।”

सुप्रसिद्ध लेखिका कांती सिंह जी ने भी अपनी बात रखते हुए कहा, “शैलेश मुसाफ़िर की कविताएँ दिल की गहराइयों से निकली हुई हैं, जो सीधे पाठक के हृदय को छू लेती हैं। ‘तुम्हारे बिना’ संग्रह में कवि ने बेहद संवेदनशीलता और सजीवता से भावनाओं को उकेरा है।”

इस अवसर पर युवा कवि सौरभ मिश्र ‘विनम्र’ ने भी अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ाई। उन्होंने शैलेश मुसाफ़िर के साहित्यिक योगदान की सराहना की और कहा, “नए कवियों के लिए यह संग्रह प्रेरणास्त्रोत साबित होगा।”

विद्यालय के प्रबंधक श्री सुरेन्द्र प्रताप जी और प्रधानाचार्य जे.पी. वर्मा, आशीष सिंह, प्रमोद सिंह जी ने भी समारोह की शोभा बढ़ाई। उन्होंने हिंदी साहित्य के उत्थान और विद्यालय में इस तरह के साहित्यिक आयोजनों की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने शैलेश मुसाफ़िर को उनकी उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए कहा कि “विद्यालय परिवार इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनकर गर्वित महसूस कर रहा है।”

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समारोह के अंत में शैलेश मुसाफ़िर ने अपने काव्य संग्रह से कुछ चुनिंदा कविताओं का पाठ किया, जिससे श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध होकर सुनने का आनंद लिया। उन्होंने अपने लेखन के प्रेरणास्त्रोतों और यात्रा के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि ‘तुम्हारे बिना’ उनके दिल के करीब है और इसे पाठकों के समर्पण स्वरूप वे प्रस्तुत कर रहे हैं।

विद्यालय परिवार की उपस्थिति ने इस आयोजन को और भी विशेष बना दिया। सभी अतिथियों और श्रोताओं ने हिंदी दिवस पर इस साहित्यिक उपहार को सराहा और संग्रह की प्रतियाँ लेकर शैलेश मुसाफ़िर के उज्जवल भविष्य की कामना की।

इस भव्य आयोजन ने न केवल हिंदी साहित्य के प्रति सम्मान को बढ़ाया, बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी साहित्य से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। ‘तुम्हारे बिना’ काव्य संग्रह निश्चित रूप से साहित्य जगत में एक अमूल्य योगदान साबित होगा।

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