भाव एवं भावना के साथ हम हिंदी से जुड़ें- डॉ राम मोहन पाठक, पूर्व कुलपति
(हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं की भूमिका विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न*)
*हिंदी को राष्ट्रभाषा बना दिया जाए और अंग्रेजी को संपर्क भाषा के रूप में चलने दिया जाए-राष्ट्रीय संयोजक*
वाराणसी, 24 सितंबर, 2022, हिंदी बने राष्ट्रभाषा मंच द्वारा शुक्रवार को रामधारी सिंह दिनकर की जयंती पर गूगल मीट एवं यूट्यूब लाइव चैनल पर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं की भूमिका विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश के विभिन्न भागों से वक्तागण ने अपने विचार व्यक्त किए। बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर राममोहन पाठक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए आजादी के पूर्व के अपने संकल्प को बताया कि हमारा संकल्प था “स्वाभिमान, स्वाधीनता एवं स्वभाषा” जिसे गांधीजी भी भली-भांति समझते थे। उन्होंने कहा कि हम भाव एवं भावना के साथ हिंदी से जुड़े।
चंडीगढ़ से भारत सरकार के अधीनस्थ विभाग में कार्यरत राजपत्रित अधिकारी एवं युनाइटेड ब्यूरो ऑफ ह्यूमन राइट एंड क्राइम कंट्रोल के सलाहकार सुरेश वर्मा ने शिक्षा प्राप्त करने तथा रोजगार के लिए विदेश में रह रहे भारतीयों को भी हिंदी के प्रचार-प्रसार का श्रेय दिया। स्कूल आफ मैनेजमेंट साइंसेस के संकाय अध्यक्ष प्रो. आर के सिंह ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि हम में हिंदी का विद्वान नहीं हिंदी का प्रेम होना चाहिए।
कोलकाता से हिंदी साहित्य परिषद अंतरराष्ट्रीय साहित्य संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय शुक्ला ने कहा कि हिंदी भाषा साहित्य को जन जागरण की आवश्यकता नहीं है बशर्ते सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं की संवाद की भाषा को हिंदी कर दिया जाए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मीडिया फोरम ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ‘मधु’ ने कहा कि हम हिंदी को बढ़ावा दें, हिंदी में बोलें तथा अपने कस्बे, गांव से प्रदेश एवं देश तक फैलाने का काम करेंगे तो संस्थाएं भी ऐसा करने का नज़ीर पेश करेंगी।
गाजियाबाद के वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी बने राष्ट्रभाषा मंच के राष्ट्रीय संयोजक डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ‘शिखर’ ने यह सुझाव दिया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बना दिया जाए और अंग्रेजी को संपर्क भाषा के रूप में चलने दिया जाए।
कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद कवयित्री कु. सृष्टि ‘राज’ ने किया। उक्त कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से सैकड़ों लोग बतौर श्रोता जुड़े रहे।
(डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ‘शिखर’)
राष्ट्रीय संयोजक,
हिंदी बने राष्ट्रभाषा मंच, गाजियाबाद