कोरोना के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए हिंदी श्री पटल पर दिल्ली की चर्चित कवयित्री ‘आशा दिनकर आस’ की पुस्तक ‘मनहर दोहावली’ का विमोचन रविवार को किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मिर्ज़ापुर के वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा ने किया। मुख्य अतिथि मिर्ज़ापुर के चर्चित कवि व लेखक डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव रहे। अति विशिष्ट अतिथि दिल्ली से डॉ अशोक कुमार मयंक, रामनिवास इंडिया व प्रेम नारायण टंडन रहे। मनहर दोहावली की रचयिता आशा दिनकर आस दिल्ली से कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन मिर्ज़ापुर से कुमारी सृष्टि राज ने किया। मनहर दोहावली पुस्तक का प्रकाशन हिंदी श्री पब्लिकेशन ने किया है।मनहर दोहावली के बारे में अध्यक्षता कर रहे भोलानाथ कुशवाहा ने कहा कि इस पुस्तक में समसामयिक विषय उठाये गए हैं जो दोहा विधा में अपनी बात कहने में सक्षम हैं। मुख्य अतिथि ने कहा कि आशा जी के दोहों की मारक क्षमता तीक्ष्ण है इसे लोगों को पढ़ना चाहिए। लेखिका आशा दिनकर ने अपने संबोधन में कहा कि मैंने आज की समय की मांग को उठाया है। साहित्य व्यक्ति के निर्माण की पाठशाला है इसका ध्यान रखा है। कार्यक्रम के अगले चरण में काव्यपाठ का दौर चला। जिसमें उपस्थित अतिथि कवियों ने काव्यपाठ किया। आशा दिनकर ने मनहर दोहावली से माँ पर लिखे दोहों को पढ़कर सुनाया।मुख्य अतिथि डॉ मिथिलेश शिखर ने सुनाया- हर रिश्ते थे अपने रिश्ते, वह दिन कभी न आएंगे। गाँव थे अपने कितने प्यारे वह गाँव कहां अब पाएँगे।अध्यक्षता कर रहे भोलानाथ कुशवाहा ने पढ़ा- हथियारों की होड़ से चिंतित हैं सब लोग। फिर भी लड़ना चाहते, यह कैसा संयोग। दिल्ली के रामनिवास इंडिया ने सुनाया- रिश्वत के हथियार से, प्रतिभा का अपमान। हाथी पर निर्बल चढ़े, गदहे पर बलवान। डॉ अशोक कुमार मयंक ने सुनाया- तसब्बुर और तीरगी में दिन गुजर गया। पहलू में गुजरने को अभी शाम बाकी है। अंत में हिंदी श्री पब्लिकेशन की संस्थापिका सावित्री कुमारी ने सभी अतिथियों व स्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
मनहर दोहावली पुस्तक का ऑनलाइन विमोचन
मिर्ज़ापुर, कोरोना के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए हिंदी श्री पटल पर दिल्ली की चर्चित कवयित्री ‘आशा दिनकर आस’ की पुस्तक ‘मनहर दोहावली’ का विमोचन रविवार को किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता मिर्ज़ापुर के वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा ने किया। मुख्य अतिथि मिर्ज़ापुर के चर्चित कवि व लेखक डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव रहे। अति विशिष्ट अतिथि दिल्ली से डॉ अशोक कुमार मयंक, रामनिवास इंडिया व प्रेम नारायण टंडन रहे। मनहर दोहावली की रचयिता आशा दिनकर आस दिल्ली से कार्यक्रम में उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन मिर्ज़ापुर से कुमारी सृष्टि राज ने किया। मनहर दोहावली पुस्तक का प्रकाशन हिंदी श्री पब्लिकेशन ने किया है।मनहर दोहावली के बारे में अध्यक्षता कर रहे भोलानाथ कुशवाहा ने कहा कि इस पुस्तक में समसामयिक विषय उठाये गए हैं जो दोहा विधा में अपनी बात कहने में सक्षम हैं। मुख्य अतिथि डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि आशा जी के दोहों की मारक क्षमता तीक्ष्ण है इन्हें पढ़ा जाना चाहिए। लेखिका आशा दिनकर ने अपने संबोधन में कहा कि मैंने आज के समय की मांग को उठाया है। साहित्य व्यक्ति के निर्माण की पाठशाला है इसका ध्यान रखा है। कार्यक्रम के अगले चरण में काव्यपाठ का दौर चला। जिसमें उपस्थित अतिथि कवियों ने काव्यपाठ किया। आशा दिनकर ने मनहर दोहावली से माँ पर लिखे दोहों को पढ़कर सुनाया।मुख्य अतिथि डॉ मिथिलेश शिखर ने सुनाया- हर रिश्ते थे अपने रिश्ते, वह दिन कभी न आएंगे। गाँव थे अपने कितने प्यारे वह गाँव कहां अब पाएँगे।अध्यक्षता कर रहे भोलानाथ कुशवाहा ने पढ़ा- हथियारों की होड़ से चिंतित हैं सब लोग। फिर भी लड़ना चाहते, यह कैसा संयोग। दिल्ली के रामनिवास इंडिया ने सुनाया- रिश्वत के हथियार से, प्रतिभा का अपमान। हाथी पर निर्बल चढ़े, गदहे पर बलवान। डॉ अशोक कुमार मयंक ने सुनाया- तसब्बुर और तीरगी में दिन गुजर गया। पहलू में गुजरने को अभी शाम बाकी है। अंत में हिंदी श्री पब्लिकेशन की संस्थापिका सावित्री कुमारी ने सभी अतिथियों व स्रोताओं का आभार व्यक्त किया।