रमाशंकर यादव को भारतेन्दु हरीशचन्द्र सम्मान| हिन्दी श्री | हिन्दी श्री पब्लिकशन

रमाशंकर

मिर्ज़ापुर के वरिष्ठ रचनाकार रमाशंकर यादव को उनके द्वारा रचित पुस्तक कविता संग्रह नारी संसार पर मिला भारतेन्दु हरीशचन्द्र सम्मान से सम्मानित किया गया

श्री रमाशंकर सिंह यादव कृत नारी संसार

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नारी संसार

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जिस कार्यक्रम में श्री रमाशंकर यादव जी को भारतेन्दु हरीशचन्द्र सम्मान से सम्मानित किया गया उस कार्यक्रम का विवरण कुछ इस्स प्रकार है कि नगर के भरूहना स्थित माँ विन्ध्यवासिनी महाविद्यालय सभागार में ‘हिन्दी श्री’ प्रकाशन के तत्वावधान में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में प्रकाशन से सद्यः प्रकाशित रमाशंकर यादव के काव्य-संग्रह ‘नारी संसार’ के लोकार्पण के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित नगर विधायक मा0 रत्नाकर मिश्रा ने यह कहा – सच्चा साहित्य वह है जो परिवार और संस्कार की बातें करे। अपने वक्तव्य में उन्होंने समाज में नारी की भूमिका एवं महत्व पर चर्चा की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार गणेश गम्भीर ने लोकार्पित पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा- ‘यह कविता में लोक की वापसी का समय है। लोकभाषा में रमाशंकर यादव की पुस्तकों ने लोकसंस्कृति के संरक्षण के साथ लुप्त होते लोकभाषा के शब्दों को बचाया है वहीं लोकपरम्पराओं से लोगों को पुनः जोड़ने का भी प्रयत्न किया है।‘‘
इससे पूर्व मुख्य अतिथि रत्नाकर मिश्र, कार्यक्रम अध्यक्ष गणेश गम्भीर, विशिष्ट अतिथि डॉ0 नीरज त्रिपाठी, कार्यक्रम संयोजक राजपति ओझा, वक्ताद्वय साहित्यकार राजेन्द्र त्रिपाठी ‘लल्लू तिवारी’ एवं रामललित शुक्ल द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। तत्पश्चात् कु0 जागृति गुप्ता द्वारा सरस्वती वंदना की गयी एवं युवा कवयित्री पूजा यादव द्वारा अतिथियों के सम्मान में स्वागत गीत प्रस्तुत किया गया। प्रारम्भ में हिन्दी श्री प्रकाशन द्वारा आये हुए अतिथियों का अभिनन्दन अंगवस्त्र, माल्यार्पण एवं स्मृति चिह्न भेंट कर किया गया एवं हिन्दी श्री की तरफ से युवा कवयित्री सृष्टि राज द्वारा प्रकाशन का परिचय देते हुए प्रकाशन की अब तक की यात्रा एवं प्रकाशन की योजनाओं के विषय में बताया गया। इसके उपरान्त मंचासीन अतिथियों द्वारा विमोचित पुस्तकों के लेखकों की साहित्यिक सेवा का सम्मान सम्मानपत्र, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न प्रदान कर किया गया। सम्मान सत्र के पश्चात महर्षि विद्यालय प्रयागराज के सेवानिवृत्त व्याख्याता रामललित शुक्ल ने रमाशंकर यादव की विमोचित पुस्तकों ‘नारी संसार’ व ‘किस्सागोई’ पर अपना विस्तृत वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में महिला काव्य मंच मिर्जापुर, मिर्जापुर फॉर्महाउस के पंकज दुबे व अभिनव श्रीवास्तव और टीम, प्रजापति समाज, भारत विकास परिषद मिर्जापुर व भागीरथी, मिलन कुमार आदि को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

नारी संसार के बारे में श्री रमाकांत यादव जी ने बताते हुए कहा की अक्षरों से शब्द, शब्दों से वाक्य बनते हैं। वाक्य वह है जिसमें भाव हो जिसमें अभाव हो वह भी वाक्य है। वाक्यों का संयोजन करके किस्सा कहानी और पुस्तकें बनती हैं। पुस्तक वह है जिसमें भाव का समावेश हो। जिस पुस्तक में भाव का समावेश न हो वह पुस्तक अभाव ग्रस्त है। पुस्तक वह है जिसकी याचना हो, उसमें रोचकता हो, वह भी पुस्तक है, जिसकी आलोचना हो। यही विषय वस्तु इस पुस्तक में स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा।इसमें भाव, अभाव, दुर्भाव, स्वभाव, आचार, विचार, शिष्टाचार, सदाचार पुनः स्वीकार, सत्कार, बलात्कार और चीत्कार देखेंगे। नारी ही है जो, हमें सर्वदा यत्र, तत्र, सर्वत्र दोयम दर्जे में मिलेगी।
खान-पान में, मेहमान में, दान में, सेवा में, कुसेवा में, कुटेव आचरण में मिलेगी। यहाँ तक कि कोई ऐसा क्षेत्र नहीं जहाँ नारियाँ दोयम न हों। नीति में, अनीति में, राजनीति में सुनीति में शासन, प्रशासन, सुशासन और दुशासन में भी नारियाँ ही हैं। जरा कलम उठाइये और नारी के विषय में चिन्तन करिये, तब देखेंगे आमना, सामना, कामना, दुर्भावना की सम्भावना मिलेगी।
रामायण, महाभारत, वेद-पुराण के प्रवचन, गठन, संगठन, आगमन, गमन, चमन, विषबमन में भी नारियाँ ही हैं। नारी आला है, बाला है, गड़बड़झाला है, मकड़झाला भी है नारी लड़ी है, खड़ी है, छोटी है, बडी है, छोरी है, किशोरी है, कुंवारी है, लड़कोरी है, साँवली है, गोरी है, मति की भोरी है, दुबली है, पतली है, खरी है, खोटी है। गा रही, भा रही, खिलखिला रही, कहीं-कहीं विलविला कर तिलमिला रही है। पल रही, जल रही, खल रही, हाथ मल रही परन्तु अटल रही। बम है, पटाका है, फुलझड़ी है, जहाँ देखो तहाँ पड़ी है। ठगिनी है, भगिनी है, नगिनी है, संगिनी है, अन्त में अद्धांगिनी है।

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