डॉ हरे राम की पुस्तकें-
1. ओबीसी साहित्य की आलोचना पद्धति
2. लोकतंत्र में हाशिये के लोग
3. जामुन का पेड़
अनजबित सिंह कॉलेज- बिक्रमगंज के हिन्दी विभाग में यहाँ के पूर्व छात्र व हिन्दी के चर्चित कवि व आलोचक डॉ.हरेराम सिंह की ‘हिन्दी श्री-संत रविदास नगर, उत्तर प्रदेश से प्रकाशित तीन पुस्तकों का विमोचन हिन्दी विभाग में हुआ। इस अवसर पर हिन्दी विभागाध्यक्ष विशाल कुमार ने कहा कि डॉ.हरेराम सिंह हिन्दी के जाने-माने कवि व आलोचक हैं। इनकी कविता संग्रह ‘जामुन का पेड़’ आमजन की पीड़ा को बेहतरीन तरीके से उजागर करती है। ” लोकतंत्र में हाशिए के लोग” पुस्तक हाशिए के लोगों के जन-संघर्षों , उनकी एकता और जनांदोलनों को मजबूती प्रदान करती है, जो लोकतंत्र को बचाए रखने में एक जरूरी तत्व की तरह काम करती है।
उर्दू विभागाध्यक्ष डॉ.सुफिया परवीन ने डॉ. हरेराम सिंह की पुस्तक ‘जामुन का पेड़’ पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ” डॉ.हरेराम सिंह का कविता-संग्रह ‘जामुन का पेड़’ यथार्थवादी जीवन को दर्शाने की कोशिश है। इस संग्रह में इन्होंने दक़ियानूसी सामाजिक व्यवस्था एवम् रुढ़ीवादिता को चुनौती देते हुए गरीब एवम् कमज़ोर वर्ग के लोगों के प्रति संवेदनशीलता को प्रकट की है।
राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ.चिंटू ने कहा कि ” डॉ.हरेराम सिंह की कविता-संग्रह ‘जामुन का पेड़’ स्वतंत्रता, न्याय और लोकतंत्र को सही मायने में स्थापित करने की चाह और जद्दोजहद से प्रेरित है।
भौतिकी विभागाध्यक्ष डॉ.रमेश जी ने कहा कि डॉ.हरेराम सिंह की पुस्तक ” ओबीसी साहित्य की आलोचना-पद्धति” ओबीसी साहित्य और उसमें भी किसानों को केंद्रित है जो उनकी चिंताओं एवम् समस्याओं को काफी गहरे तरीके से प्रस्तुत करती है, साथ ही साथ ओबीसी साहित्य की आलोचना-पद्धति पर काफी विस्तार से फोकस करती है।इस मौके पर महाविद्यालय के कई छात्र-छात्राएँ भी मौजूद थीं।
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