सुबह-ए-बनारस के मंच पर ‘कैप्टन राघवेंद्र की प्रभा’ उपन्यास का लोकार्पण मंगलवार को हुआ। 1971 के भारत-पाक युद्ध की सत्य घटना पर यह उपन्यास आधारित है। इस उपन्यास में कैप्टन राघवेंद्र की धर्मपत्नी श्रीमती प्रभा को जब उनके शहीद होने की खबर मिली तो उन्होंने इस घटना को सच मानने से इनकार कर दिया और उन्होंने यह अटल विश्वास जताया कि उनके पति जीवित है। भारतीय संस्कृति में व्याप्त अर्धनारीश्वर की अवधारणा और पति-पत्नी के बीच के अटल विश्वास पर आधारित यह उपन्यास अत्यंत अनुपम है। इस उपन्यास को गाजीपुर के साहित्यकार शिब्बू गाजीपुरी ने लिखा है।
आरंभ में अतिथियों द्वारा गंगाजल का पूजन और दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। तत्पश्चात कुमारी सृष्टि राज ने सरस्वती वंदना आनंद अमित ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। पुस्तक लोकार्पण की अध्यक्षता पंडित प्रमोद कुमार मिश्रा (उपाध्यक्ष, सुबह-ए-बनारस) ने की तथा विशिष्ट अतिथि डॉक्टर रत्नेश वर्मा जी (संस्थापक सचिव, सुबह-ए- बनारस) थे। मुख्य अतिथि के रूप में उपन्यास के नायक कर्नल राघवेंद्र तथा उनकी पत्नी श्रीमती प्रभा जी उपस्थित थीं। इस अवसर पर डॉ रत्नेश वर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि- “सैन्यकर्मियों तथा उनके पारिवारिक जनों का संघर्ष और पारिवारिक जीवन निश्चित रूप से प्रेरणादायक है। श्रीमती प्रभा का अपने दांपत्य जीवन के प्रति अटल विश्वास भारतीय संस्कृति की अनुपम थाती है।” अध्यक्षता करते हुए पंडित प्रमोद कुमार मिश्रा ने कहा कि- “देश की सीमाओं पर चौकस रहने वाले सैन्यकर्मी हमारे जिंदगी के वास्तविक नायक हैं। श्रीमती प्रभा का अपने पति की आयु पर अटल विश्वास सदैव समाज को प्रेरित करता रहेगा”। इस अवसर पर कर्नल राघवेंद्र ने अपने विविध संस्मरणों को साझा किया। कार्यक्रम में कर्नल राकेश, गोपाल जी राय, अजय त्रिपाठी, कुश तिवारी, प्रीती सिंह, कामेश्वर द्विवेदी, गिरीश पांडेय, सूर्य प्रकाश मिश्र, महेंद्र अलंकार, आलोक सिंह, विकास विदिप्त आदि कवियों तथा शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा के बड़े भाई पीयूष शर्मा व योग आचार्या अंजना त्रिपाठी का विशेष सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन कवि डॉ० नागेश शाण्डिल्य ने किया। हिंदी श्री साहित्य संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत आनंद अमित, पूजा यादव, कृष्णकांत प्रजापति, रूपेश नागवंशी तथा अमन सागर ने माल्यार्पण व स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया।