एक जिंदा आदमी की आवाज़….
Aadami Jinda Rahe आदमी जिंदा रहे: दौलत राम प्रजापति
Aadami Jinda Rahe : ग़ज़ल उतनी सीधी नहीं होती जितनी हम समझते हैं। ग़ज़ल के शे’र पढ़कर हर पाठक अपने-अपने व्यवहार और विचार के अनुरूप उसका अलग-अलग अर्थ निकालता है। लेकिन शायर क्या कहना चाह रहा है, यह पाठक की पकड़ में आ जाए तो शे’र को पढ़ने का आनंद दुगुना हो जाता है। अब दौलत जी के ग़ज़ल संग्रह के शीर्षक को ही ले लीजिए। ‘आदमी जिंदा रहे’, इसका भाव क्या है? हर पाठक अपने मतानुसार इसका भाव समझेगा और समझायेगा।
दौलत जी को लम्बे समय से पढ़ता और सुनता आ रहा हूँ। ऐसे समय में, जब आदमी के अंदर का आदमी मरता जा रहा है, ‘आदमी जिंदा रहे’ की ग़ज़लें आदमी के अंदर के आदमी को जिंदा रखने में सहायक सिद्ध होती दिख रही हैं। मुश्किल हालातों से लड़ रहे आम इंसान के दर्द को इनकी ग़ज़लें अपनी आवाज़ देती हैं। लीक से हटकर लिखना दौलत जी की खासियत है। हमेशा कुछ नया करने की ललक इनके अंदर विद्यमान रहती है।
किस्से तमाम लिखूँगा हिज्रे-बहार के,
पत्तों, गुलों को चूम के मनमीत लिखूँगा।
‘आदमी जिंदा रहे’ की शुरुआत कुछ ऐसे ही इश्क-मुहब्बत के शेरों से होती है। लेकिन जैसे-जैसे आगे बढियेगा “आदमी जिंदा रहे” का असली रंग दिखाई देता है, वर्तमान में विपरीत परिस्थितियों से जूझ रहे आम इंसान की तकलीफ दिखाई देती है, अव्यवस्था के प्रति आक्रोश दिखाई देता है, विरोध के स्वर दिखाई देते हैं। अव्यवस्था और सत्ता में बैठे बड़े-बड़े राजनैतिक मठाधीशों के विरोध में दौलत जी की कलम बिना डरे बेबाकी से चलती है-
1.
चमक आंखों में लेकर राजपथ की आप क्या जानो,
हमें तो गाँव की पगडण्डियों की गर्द लिखना है।
2.
खून से सड़कें सजी हैं, रक्त रंजित पटरियाँ,
बच सके मजदूर बेबस तो सदी जिंदा रहे।
3.
कई फ़ितने, कई जुमले शगूफे छोड़ देता है,
असल आवाम के मुद्दे अधूरे छोड़ देता है।
एक साहित्यकार अपने लेखन के माध्यम से जन-जागरण का कार्य करता है। अपनी रचनाओं के माध्यम से आम जन-मानस की परेशानियों, मुश्किलों और संघर्षों को उठाता है। उनके दर्द को सत्त्ता में बैठे बहरे राजनेताओं और प्रशासन को सुनने के लिए मजबूर करता है। यही तो एक साहित्यकार का धर्म है और इस धर्म को निभाने में दौलत जी ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा है।
एक जिंदा आदमी की तरह अपनी कलम के माध्यम से आम जन-मानस की आवाज़ उठाने वाले दौलतराम जी को “आदमी जिंदा रहे” के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।
-आनंद अमित
5, टाइप 4
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