अधिदर्शक के काव्य संग्रह ‘दोस्त! आनंद भवन रोता है’ का हुआ विमोचन

अधिदर्शक

हिंदी श्री पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई अधिदर्शक जी की पुस्तक “दोस्त आनंद भवन रोता है” सामाजिक परिवर्तन में साहित्यकारों का महत्वपूर्ण योगदान- शरद मेहरोत्राअधिदर्शक जी का लेखन उनके संघर्षों का गवाह- भोलानाथ कुशवाहाअधिदर्शक जी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है- गणेश गंभीर     मीरजापुर।शहीद उद्यान नारघाट में साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में […]

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कवि डॉ. जय प्रकाश प्रजापति’ अंकुश कानपुरी की चार पुस्तकों का हुआ विमोचन।

जय प्रकाश प्रजापति

1. अंकुश की बाल कविताएँ2. मोनू की सीख3. कैसी हवा चली (गीत संग्रह)4. अंकुश की लघुकथाएँ विमोचित हुईं  ०८-१०-२०२३ को प्रजापति भवन दामोदर नगर में बाल साहित्य  संवर्धन संस्थान कानपुर के बैनर तले एक विशाल कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता डॉ. मोहन सिंह कुशवाहा, मुख्य अतिथि श्री आनंद अमित मिर्जापुर रहे। विशिष्ट अतिथि हरि

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प्रतिमा शर्मा व अलंकृता राय की पुस्तकों का प्रयागराज में हुआ लोकार्पण

प्रतिमा

  प्रयागराज।हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के सभागार में शनिवार,7 अक्टूबर को भदोही की कवयित्री प्रतिमा शर्मा ‘पुष्प’ की चार पुस्तकों एवं अलंकृता राय की एक पुस्तक का लोकार्पण हुआ।लोकार्पित पुस्तकों में प्रतिमा ‘पुष्प’ के तीन कहानी संग्रह-नीलांजला,दूसरी लौंग,गुलाबी आँखों का दर्द व एक काव्य संग्रह- रात खिड़कियों से तथा अलंकृता राय का कविता संग्रह- आधी कप चाय

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कवि अनिल अंकित की 2 पुस्तकें, जीना इसी का नाम है और मैं कविता बोल रही हूँ का हुआ विमोचन

अनिल अंकित की पुस्तक

कवि अनिल ‘अंकित’ के दो कविता-संग्रहों(‘जीना इसी का नाम है’ व ‘मैं कविता बोल रही हूॅं’) का विमोचन जिला पंचायत सभागार, गाजीपुर में संपन्न हुआ। ‘साहित्य चेतना समाज’ एवं ‘हिन्दीश्री’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के अन्तर्गत कवि अनिल ‘अंकित’ के दो कविता-संग्रहों(‘जीना इसी का नाम है’ व ‘मैं कविता बोल रही हूॅं’) का

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साहित्य चेतना समाज गाज़ीपुर प्रारम्भ करेगी ‘चेतना प्रवाह’

चेतना

सुधीजनों व साहित्यकारों ने ‘चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए हर संभव सहयोग करने की अपनी सहर्ष सहमति दी साहित्य चेतना समाज की बैठक गाजीपुर नगर के वंशीबाजार में स्वामी विवेकानन्द काॅलोनी स्थित संस्था के कैम्प कार्यालय पर हुई।बैठक में शीघ्र ही प्रारंभ होने वाले संस्था के नये कार्यक्रम ‘चेतना-प्रवाह’ के विषय में विस्तार से

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वेद प्रकाश प्रजापति द्वारा कृत कविता संग्रह आओ लौट चलें अब गाँव की समीक्षा डॉ.ऋषिपाल धीमान ’ऋषि‘ द्वारा

आओ लौट चलें अब गाँव

पुस्तक-समीक्षापुस्तक का नाम- आओ लौट चलें अब गाँव (कविता-संग्रह)कवि- वेदप्रकाश प्रजापतिप्रकाशक- हिंदीश्री पब्लिकेशन, सुरियावं, महुआपुर, संत रविदासनगर(उ.प्र.)प्रकाशन वर्ष-2021मूल्य-350 रु. पुस्तक खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें प्रस्तुत कृति ‘आओ लौट चलें अब गाँव’ श्री वेदप्रकाश प्रजापति की 87 विविधवर्णी हिंदीकविताओं का संग्रह है। यह इनका दूसरा स्वतंत्र काव्य-संग्रह है। इस संग्रह में प्रो. ओमपाल सिंह

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मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी ने किया “पंखुड़ियाँ” काव्य संग्रह का विमोचन

पंखुड़ियां

पंखुड़ियाँ काव्य संग्रह हिंदी श्री पब्लिकेशन से प्रकाशित है पंखुड़ियाँ काव्य संग्रह की रचयिता पूर्व सहकारिता राज्यमंत्री डॉ संगीता बलवंत हैं पूर्व सहकारिता राज्य मंत्री व साहित्यकार डॉ संगीता बलवंत की छठवीं पुस्तक “पंखुड़ियां” काव्य संग्रह का विमोचन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी के कर कमलों द्वारा उनके आवास 5, कालिदास

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डॉ रामसेवक विकल कृत श्रीमद्भागवत गीता (भोजपुरी भावानुवाद) का जमशेदपुर में हुआ विमोचन

डॉ रामसेवक

जमशेदपुर। रविवार 18 जून 2023 को गोलमुरी स्थित भोजपुरी भवन में डा रामसेवक विकल जी की कृति श्रीमद भागवत गीता का भोजपुरी भावानुवाद का लोकार्पण उपस्थित अतिथियों द्वारा हुआ। आयोजक डा आदित्य कुमार अंशु (सुपुत्र डा रामसेवक विकल) थे। मुख्य अतिथि के रूप में दिनेश्वर प्रसाद दिनेश उपस्थित कार्यक्रम की अध्यक्षता अरविंद विद्रोही व संचालन

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अधिदर्शक जी द्वारा रचित पुस्तक ‘आपके हाथ में गुलाब आए’ | हिंदी श्री पब्लिकेशन

आपके हाथ में गुलाब आए

अधिदर्शक का ये दीवान पिछली सदी के आखिरी दो दशकों में तेजी से बदल हिन्दुस्तान की सांस्कृतिक राजनैतिक- सामाजिक छटपटाहट को बड़ी शाइस्तगी से बयान करता है। उनकी ग़जलों में हकीकत ज्यादा है और फ़साना कम है। ये गज़लें जैसे टैगोर के ‘भयमुक्त ‘चित्र’ का वितान रचती हैं। इन गज़लों में जो कशिश है वो

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नन्हें सिंह ठाकुर का मेरा बचपन मेरा गाँव (संस्मरण संग्रह) प्रकाशित हुआ

मेरा बचपन मेरा गाँव

मेरा बचपन मेरा गाँव पुस्तक के बारे में इसके लेखक श्री नन्हें सिंह ठाकुर की अपनी बात- इस कृति में बीस संस्मरण निबंधों के माध्यम से मैंने अपने बचपन और गांव की स्मृतियों को अपनी संवेदना के साथ उकेरने का प्रयास किया है,एक पाठक के रूप में इन स्मृति निबंधों को पढ़कर यदि आप भी

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