हिन्दी श्री

साहित्यकार मिथिलेश श्रीवास्तव का किया गया सम्मान | मिर्ज़ापुर | हिन्दी श्री पब्लिकेशन

मिथिलेश श्रीवास्तव

साहित्यकार मिथिलेश श्रीवास्तव का किया गया सम्मानडॉ मिथिलेश की रचनाएं यथार्थपरक- भोलानाथ कुशवाहा मिर्ज़ापुर| ग़ाज़ियाबाद से पधारे चर्चित कवि व लेखक डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव शिखर को अष्टभुजा स्थित माँ कामेश्वरी आश्रम परिसर में हिंदी श्री संस्था की ओर से रविवार को  सम्मानित किया गया। इसमें उनके साहित्य लेखन पर विशेष रूप से चर्चा की […]

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“मैं गीता हूँ” उपन्यास का हुआ विमोचन | विराट कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन | वाराणसी | हिन्दी श्री पब्लिकेशन

मैं गीता हूँ

“मैं गीता हूँ” उपन्यास का हुआ विमोचनविराट कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन वाराणसी। एल एस सी के अंतर्गत काव्यकलश के सौजन्य से भव्य साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें विराट कवि सम्मेलन और सर्वेश पाण्डेय मिर्जापुरी द्वारा लिखित “मैं गीता हूँ” उपन्यास का विमोचन, इस उपन्यास की मुख्य पात्र और कार्यक्रम की मुख्य अतिथि

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शिव प्रकाश ‘साहित्य’ | बागेश्वर जी पर रचित रचना | हिन्दी श्री

शिव प्रकाश 'साहित्य'

जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी।सबके विपत्ति हरो हैं ,जय बागेश्वर जीजय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी। पान, फूल अरु मोदक भाते अरु मेवा।सब सन्तन मिल करते,बाला की सेवा।।जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी। सब भक्तन पे तुम्हरो दृष्टि गड़ी रहती।रात्रि-दिवस कोई हो कोइ घड़ी रहती।।जय-जय बागेश्वर जी,जय-जय बागेश्वर जी। अनुकम्पित,अनुरागी जो इहवाँ आया।खाली हाथ न लौटा झोली

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करवा चौथ पर डॉ बीना सिंह “रागी ” की रचना | हिन्दी श्री

बीना सिंह "रागी

करवा चौथ मेरे सर की कसम मैं मिलूंगी सनमआप मिलने का हमसे सौगंध खाईए बाती की भांति मै जलूंगी सनमहर जन्म में दीपक बन आ जाइएकपोल है लाल सुर्ख लाल रुखसार हैहैं अद्भुत ये छवि दर्पण शर्मसार हैकेश काले कटी पर बलखाते हुएबातें करती हूं खुद से सकुचाते हुएधड़कन और सांसों में समा जाइएव्याकुल है मनवा

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राधा गोयल कृत अंतर्नाद का हुआ विमोचन | हिन्दी श्री पब्लिकशन

राधा गोयल

कविता आदमी को नई दिशा देने का कार्य करती है- डॉ नीरज त्रिपाठी।राधा गोयल गहरी संवेदना की रचनाकार- भोलानाथ कुशवाहा।राधा गोयल की रचनाओं में आज का समय बोलता है- अनिल अंकितराधा गोयल के सोचने का दायरा बहुत बड़ा है- आशा दिनकरराधा गोयल कृत अंतर्नाद का हुआ विमोचन।     मिर्ज़ापुर। राधा गोयल कृत अंतर्नाद (कविता

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शिखर बाल कथाएं का हुआ विमोचन | हिन्दी श्री पब्लिकेशन

शिखर बाल कथाएं

हिंदी श्री पब्लिकेशन से प्रकाशित डॉ मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ‘शिखर’ द्वारा रचित ‘शिखर बाल कथाएं’ का हुआ विमोचनशिखर बाल कथाएं की कहानियां बच्चों के नैतिक विकास के लिए जरुरी -मुख्य महाप्रबंधक, एन टी पी सी रिहन्द बीजपुर, 27 सितंबर,  रिहंद सुपर थर्मल पावर स्टेशन के मंथन सम्मेलन कक्ष में  एनटीपीसी के पूर्व उप प्रबंधक (मानव

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 हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं की भूमिका |राष्ट्रीय संगोष्ठी | हिन्दी श्री | हिंदी बने राष्ट्रभाषा मंच

हिंदी बने राष्ट्रभाषा मंच,

भाव एवं भावना के साथ हम हिंदी से जुड़ें- डॉ राम मोहन पाठक, पूर्व कुलपति (हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने हेतु सरकारी एवं गैरसरकारी संस्थाओं की भूमिका विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न*)*हिंदी को राष्ट्रभाषा बना दिया जाए और अंग्रेजी को संपर्क भाषा के रूप में चलने दिया जाए-राष्ट्रीय संयोजक* वाराणसी, 24 सितंबर, 2022, हिंदी बने राष्ट्रभाषा मंच द्वारा शुक्रवार

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 रजत जयंती समारोह | कविलोक | कवि सम्मेलन | हिन्दी श्री

कवि सम्मेलन

गोरखपुर में वर्ष 1997 में स्थापित साहित्यिक संस्था “कविलोक” सार्थक सृजन मंच  के 25 वर्ष पूरे होने पर इसका रजत जयंती समारोह स्थानीय होटल के सभागार में आयोजित किया गया.    समारोह की अध्यक्षता  वरिष्ठ साहित्यकार एवं आलोचक प्रो. रामदेव शुक्ल ने की तथा मुख्य समागत  गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कृष्ण चंद्र

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तन्हाइयों की महफ़िल | विमोचन | आशा दिनकर | हिंदी श्री | hindi shree

आशा दिनकर

आशा दिनकर ने अपने लेखन से समृद्ध किया है साहित्य को – मिथिलेश प्रसाद द्विवेदी ग़ज़ल संग्रह ‘तन्हाइयों की महफ़िल’ का हुआ विमोचन।    सभी रचनाकार लोक से जुड़े रहते हैं और लोक की ही बात रचनाओं में आती है- भोलानाथ कुशवाहा      मिर्ज़ापुर। आशा दिनकर द्वारा रचित ग़ज़ल संग्रह तन्हाइयों की महफ़िल का

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गीतांजलि श्री से एक मुलाकात | उषा राय | हिन्दी श्री | hindi shree

गीतांजलि श्री_उषा राय

मेरी हिन्दी मेरा धन है- गीतांजलि श्री अपने नए उपन्यास ‘रेत समाधि’की चर्चा के लिए लखनऊ आईं गीतांजलि श्री से मेरी मुलाकात हुई। निःसंन्देह गीतांजलि जी एक असाधारण लेखिका हैं जिसे जीवन के खाँचे और सरलीकरण परेशान करते हैं। वे मानती हैं कि जिन्दगी में कुछ भी निर्धारित नहीं है ,वह इधर से उधर होता

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