बौद्धिवृक्ष के नीचे | अजित कुमार राय | हिन्दी श्री hindi shree
कविता- बौद्धिवृक्ष के नीचे बौद्धिवृक्ष के नीचे —-मैं तथागत हूँ —-तथा आगत , तथा गत ।बोधिसत्व से बुद्ध बनने की अंतर्यात्रातय होती है असंख्य जन्मों में ।ऊर्ध्वग ज्योति – शिखाएक दिन निर्वाण प्राप्त कर लेती है औरभोर का तारा डूबने के साथ हीकुछ डूब जाता है अपने भीतर ।अपने भीतर देखना ही तो विपश्यना है […]
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