बड़े मदारी अंधियारे हैं | आनंद रस | नवल किशोर गुप्त | आनंद अमित | हिन्दी श्री पब्लिकेशन
“बड़े मदारी अंधियारे हैं, अंधियारों को छलना होगा। अंगारों से आग लगेगी, दीपक बनकर जलना होगा।” इन पंक्तियों को पढ़कर पूरे विश्वास के साथ यह बात कही जा सकती है कि साहित्य जगत में एक दीपक और प्रकाशमान हो चुका है। अक्सर किसी बात की शुरुआत संभावनाओं से होती है परन्तु यहाँ पर मैं अपनी बात […]
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