हिंदी श्री पब्लिकेशन

महरी उपन्यास खुद ब खुद बोलता है – रामनाथ शिवेंद्र

महरी विमोचन

महरी के कृतिकार-गिरिजा प्रसाद चौधरी ‘चंद्र’ महरी और मेंधर की गोद में का विमोचन १६-०१-२०२४ को हुआ था गिरिजा प्रसाद चौधरी ‘चंद्र’ का महरी लघु उपन्यास लम्बे अंतराल के बाद अधिदर्शक भाई की नैतिक उत्प्रेरणा से प्रकाशित हुआ है। इस उपन्यास को प्रकाश में लाने के लिए उनकी पत्नी निर्मला देवी तथा उनके पुत्रों प्रेमेंद्र […]

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बैंक आफ बड़ौदा में मनाया गया विश्व हिंदी दिवस

बैंक आफ बड़ौदा

बैंक आफ बड़ौदा में मनाया गया विश्व हिंदी दिवस हिंदी को विश्व पटल पर लाने की ज़रूरत – क्षेत्रीय प्रबंधक सिविल लाइन सुलतानपुर स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा के क्षेत्रीय कार्यालय में आज विश्व हिंदी दिवस का आयोजन किया गया।इस अवसर पर जनपद के प्रख्यात कवि व ग़ज़लकार डाॅ डी एम मिश्र मुख्य अतिथि के रूप

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डॉ. उषा कनक पाठक की पुस्तक ‘प्रियतम को/की पाती’ का हुआ विमोचन

usha kanak pathak

साहित्यिक धारा से सुसम्पन्न करना  है जनपद को- प्रो. शिशिर कुमार पाण्डेय मिर्जापुर के माहेश्वरी लॉन परिसर में बंग महिला से लेकर डॉक्टर उषा कनक पाठक तक के मिर्जापुर के महिला साहित्यकारों पर एक विमर्श और पुस्तक चर्चा विषयक गोष्ठी में डॉक्टर उषा कनक पाठक की हिंदी श्री पब्लिकेशन से नवप्रकाशित पुस्तक प्रियतम को/ की

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रमाशंकर सिंह यादव कृत काव्य संग्रह 1. वेलेंटाइन डे और 2. दारूवाला का हुआ विमोचन

रमाशंकर

हिंदी श्री पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई रमाशंकर सिंह यादव जी की काव्य संग्रह 1. वेलेंटाइन डे और 2. दारूवाला मिर्ज़ापुर। उत्तर प्रदेश साहित्य सभा, मीरजापुर इकाई के तत्वावधान में ग्राम पंचायत, कलना गहरवार, गैपुरा में पुस्तक विमोचन व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रसिद्ध नवगीतकार गणेश गम्भीर, मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार

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अधिदर्शक के काव्य संग्रह ‘दोस्त! आनंद भवन रोता है’ का हुआ विमोचन

अधिदर्शक

हिंदी श्री पब्लिकेशन से प्रकाशित हुई अधिदर्शक जी की पुस्तक “दोस्त आनंद भवन रोता है” सामाजिक परिवर्तन में साहित्यकारों का महत्वपूर्ण योगदान- शरद मेहरोत्राअधिदर्शक जी का लेखन उनके संघर्षों का गवाह- भोलानाथ कुशवाहाअधिदर्शक जी का जीवन संघर्षों से भरा रहा है- गणेश गंभीर     मीरजापुर।शहीद उद्यान नारघाट में साहित्य चेतना समाज के तत्वावधान में

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कवि डॉ. जय प्रकाश प्रजापति’ अंकुश कानपुरी की चार पुस्तकों का हुआ विमोचन।

जय प्रकाश प्रजापति

1. अंकुश की बाल कविताएँ2. मोनू की सीख3. कैसी हवा चली (गीत संग्रह)4. अंकुश की लघुकथाएँ विमोचित हुईं  ०८-१०-२०२३ को प्रजापति भवन दामोदर नगर में बाल साहित्य  संवर्धन संस्थान कानपुर के बैनर तले एक विशाल कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसकी अध्यक्षता डॉ. मोहन सिंह कुशवाहा, मुख्य अतिथि श्री आनंद अमित मिर्जापुर रहे। विशिष्ट अतिथि हरि

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प्रतिमा शर्मा व अलंकृता राय की पुस्तकों का प्रयागराज में हुआ लोकार्पण

प्रतिमा

  प्रयागराज।हिंदुस्तानी एकेडमी प्रयागराज के सभागार में शनिवार,7 अक्टूबर को भदोही की कवयित्री प्रतिमा शर्मा ‘पुष्प’ की चार पुस्तकों एवं अलंकृता राय की एक पुस्तक का लोकार्पण हुआ।लोकार्पित पुस्तकों में प्रतिमा ‘पुष्प’ के तीन कहानी संग्रह-नीलांजला,दूसरी लौंग,गुलाबी आँखों का दर्द व एक काव्य संग्रह- रात खिड़कियों से तथा अलंकृता राय का कविता संग्रह- आधी कप चाय

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कवि अनिल अंकित की 2 पुस्तकें, जीना इसी का नाम है और मैं कविता बोल रही हूँ का हुआ विमोचन

अनिल अंकित की पुस्तक

कवि अनिल ‘अंकित’ के दो कविता-संग्रहों(‘जीना इसी का नाम है’ व ‘मैं कविता बोल रही हूॅं’) का विमोचन जिला पंचायत सभागार, गाजीपुर में संपन्न हुआ। ‘साहित्य चेतना समाज’ एवं ‘हिन्दीश्री’ के संयुक्त तत्वावधान में ‘चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम के अन्तर्गत कवि अनिल ‘अंकित’ के दो कविता-संग्रहों(‘जीना इसी का नाम है’ व ‘मैं कविता बोल रही हूॅं’) का

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साहित्य चेतना समाज गाज़ीपुर प्रारम्भ करेगी ‘चेतना प्रवाह’

चेतना

सुधीजनों व साहित्यकारों ने ‘चेतना-प्रवाह’ कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए हर संभव सहयोग करने की अपनी सहर्ष सहमति दी साहित्य चेतना समाज की बैठक गाजीपुर नगर के वंशीबाजार में स्वामी विवेकानन्द काॅलोनी स्थित संस्था के कैम्प कार्यालय पर हुई।बैठक में शीघ्र ही प्रारंभ होने वाले संस्था के नये कार्यक्रम ‘चेतना-प्रवाह’ के विषय में विस्तार से

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वेद प्रकाश प्रजापति द्वारा कृत कविता संग्रह आओ लौट चलें अब गाँव की समीक्षा डॉ.ऋषिपाल धीमान ’ऋषि‘ द्वारा

आओ लौट चलें अब गाँव

पुस्तक-समीक्षापुस्तक का नाम- आओ लौट चलें अब गाँव (कविता-संग्रह)कवि- वेदप्रकाश प्रजापतिप्रकाशक- हिंदीश्री पब्लिकेशन, सुरियावं, महुआपुर, संत रविदासनगर(उ.प्र.)प्रकाशन वर्ष-2021मूल्य-350 रु. पुस्तक खरीदने के लिए यहाँ क्लिक करें प्रस्तुत कृति ‘आओ लौट चलें अब गाँव’ श्री वेदप्रकाश प्रजापति की 87 विविधवर्णी हिंदीकविताओं का संग्रह है। यह इनका दूसरा स्वतंत्र काव्य-संग्रह है। इस संग्रह में प्रो. ओमपाल सिंह

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