1. योग-दिवस
जैष्ठ शुक्ल , एकादशी , चंद्रवार की भोर
आज विश्व में उठ रहा,योगदिवस का शोर
योगदिवस का शोर , शोर क्या महाशोर है
आज हिन्द के हाथ में जिसकी मूल डोर है
योग किया तो शिवशंकर ,महादेव कहलाए
उसी योग के बली कन्हैया,योगेश्वर बनपाए
योगेश्वर बन पाए कीना , महायोग हनुमाना
उसीयोग से रामदेव को,जाने आज जमाना
रामूभैया अकट सत्य है, जो भी योग करेगा
रोगशून्य होकर वह योगी , आयु दीर्ध वरेगा
-रामू भैया
2. योग दिवस
योग से सुन्दर काया
योग में जो नहाया
मन ,चित से शान्त पाया
निरोगी अपने को बनाया।।
योग है मन की साधना
जो बल बुद्धि करे एकाग्रता
ओम की ध्वनि से हो ऊर्जामय
जीवन को करे अति सुखमय।।
योग है स्वयम को खोजना
ये बढ़ाए मनोबल ,जिज्ञासा
योग से ही चक्र हो सन्तुलन
आत्मा का परमात्म से मिलन ।।
-आयुष्मती (आयुष)
3. योग स्वयं को जानने की कला है
भारत के इस प्राचीन सांस्कृति को
अब मिलजुल कर आगे बढ़ाना है,
पूरी उत्साह और अनुशासन से
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाना है।
योगाभ्यास के है अनेक फायदे
यह आत्मविश्वास को बढ़ाता है,
तन-मन-मस्तिष्क को स्वस्थ कर
विभिन्न व्याधियों से हमें बचाता है।
ध्यान,प्रणायाम,व्यायाम और आसन
मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं,
असंतोष, क्रोध,अनिद्रा, दर्द, तनाव से
सदा-सदा के लिए छुटकारा पाते हैं।
नित्य सुबह-शाम जो पसीना बहाते
पाते निर्मल तन और सुन्दर काया,
योग को जीवन का हिस्सा बनाइए
दूर हो जायेंगे आलस और मोह माया।
योग स्वयं को जानने की कला है
अष्टयोग को जीवन में अपनायें,
संतुलित आहार व सुन्दर विचारों से
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ायें।
अब तो पूरी दुनिया योग को अपनाया
तो भला हम क्यों पीछे रह जाए,
भारतीय कला के इस अनुष्ठान को
मिलकर दैनिक जीवन में अपनाए।
-नरेश कुमार ‘निराला
4. योग करो योग
करेंगे हम तो नित्य योग
रहेंगे तब हरदम निरोग
उत्तम स्वास्थ के लिये योग
हष्ट पुष्ठ शरिर के लिये योग
बिमारीयों से दूर रखे योग
उत्साह उमंग से भरे योग
करेंते हम तो नित्य योग
रहेंगे तब हरदम निरोग
करते रहो बस योग
रहोगे तरो ताजा कर योग
खुशियों का द्वार योग
एकाग्रता की पहचान योग
करेंगे हम तो नित्य योग
रहेंगे तब हरदम निरोग
संयम की पहचान योग
ब्रम्हचार्य का सार योग
ध्यान की पहली सीढ़ी योग
आत्म कल्याण का द्वार योग
करेंगे हम तो नित्य योग
रहेंगे तब हरदम हम निरोग
-कुन्दन पाटिल देवास
5. करो योग-रहो निरोग
संदेशा इस योग का-2,हमें सबको बताना है,
बनना है निरोगी तो-2,इसे आदत बनाना है।
भारत तो सदियों से,पुजारी रहा योग का
वरदान है योग ये,जन-जन को बताना है।
दहशत से भरी दुनियां, कहीं जान न ले बैठे
पाने को स्वस्थ काया,शरण इसकी जाना है।
हर बीमारी का नाशक है,दीर्घायु बनाता है
इस दौरे कोरोना में, दुनियां को बचाना है।
तन तेरा निर्मल नहीं, धन है ये किस काम का
अकेले हीं आया था,अकेले हीं जाना है।
संदेशा इस योग का-2,हमें सबको बताना है,
बनना है निरोगी तो_2,इसे आदत बनाना है।
-प्रीतम कुमार झा
6. आओ योग करें
आओ हम सब योग करें, योग से दूर रोग करें
आओ हम सबको जागरूक करें
आओ हम ‘योग से निरोग’ का प्रसार करें
आओ हम सब योग करें, योग से दूर रोग करें…..….
योग से हम तन मन को शुद्ध करें पवित्र करें।
योग से ज्ञान बढ़ाने का आयाम करें
योग से स्वस्थ रहने के लिए प्राणायाम करें
आओ हम सब योग करें, योग से दूर रोग करें…..….
योग से दीर्घायु होने का वरदान प्राप्त करें
योग से समस्त रोगों का सर्वनाश करें
अशुद्ध आहार , आचार का त्याग करें
योग महर्षि पतंजलि का गुणगान करें
आओ हम सब योग करें, योग से दूर रोग करें…..….
महर्षि पतंजलि के अष्टांग-योग का आव्हान करें
योग से आठों अंगों का फरमान करें
योग से ही सुंदर,सुदृढ बनने का प्रयास करें
योग से ही सफल दिनचर्या करें
आओ हम सब योग करें, योग से दूर रोग करें…..….
कपालभाति, अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें
अपने देह शुद्धि की खातिर व्यायाम करें
योगिक क्रिया कलापों से तन/मन को सक्रिय करें
अपने साँसों को लेने और छोड़ने अभ्यास करें
आओ हम सब योग करें, योग से दूर रोग करें…..….
ज्ञान और विवेक से तन को रोगमुक्त करें
ईश प्रदत्त शक्ति साधन से देश को युक्त करें
अपनों मन-अंतर से से यह संकल्प करें
हर दिन, हर पल आओ योग का प्रसार करें
आओ हम सब योग करें, योग से दूर रोग करें…..….