राधा गोयल कृत अंतर्नाद का हुआ विमोचन | हिन्दी श्री पब्लिकशन

राधा गोयल

कविता आदमी को नई दिशा देने का कार्य करती है- डॉ नीरज त्रिपाठी।
राधा गोयल गहरी संवेदना की रचनाकार- भोलानाथ कुशवाहा।
राधा गोयल की रचनाओं में आज का समय बोलता है- अनिल अंकित
राधा गोयल के सोचने का दायरा बहुत बड़ा है- आशा दिनकर
राधा गोयल कृत अंतर्नाद का हुआ विमोचन।

    मिर्ज़ापुर। राधा गोयल कृत अंतर्नाद (कविता संग्रह) का विमोचन करने के बाद डॉ नीरज त्रिपाठी ने कहा कि कविता आदमी को नई दिशा देने का कार्य करती है। राधा गोयल ने अपने अंतर्नाद कविता संग्रह में जीवन के विविध विषयों को उठाकर जो चिंतन प्रस्तुत किया है वह उल्लेखनीय है और लोगों के लिए प्रेरणादायक भी है। अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार भोलानाथ कुशवाहा ने कहा कि राधा गोयल का निरीक्षण और चिंतन बहुत गहरा है और भाषा व भाव के स्तर पर वह दृढ़ता के साथ अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करती दिखाई देती हैं। वह गहरी संवेदना की रचनाकार हैं। विशिष्ठ अतिथि अनिल अंकित ने राधा गोयल की रचनाओं की जोरदार ढंग से तारीफ करते हुए कहा कि उनमें आज का समय बोलता है। विशष्ट अतिथि चर्चित कवयित्री आशा दिनकर ने राधा गोयल को बधाई देते हुए कहा कि इनका सोचने का दायरा बहुत बड़ा है जिसमें पारिवारिक और सामाजिक जीवन के अनेक प्रसंग मुखरित होते हैं।

इस दौरान हुए काव्यपाठ में अंतर्नाद पुस्तक की रचयिता राधा गोयल ने सुनाया- ये आज समय पर किसकी काली छाया है? समझ न आये कौन है अपना कौन पराया है? डॉ नीरज त्रिपाठी ने सुनाया- खेती पर लिखूँ या किसानी पर। या फिर लिखूँ खेतों की वीरानी पर। मैं क्या लिखूँ? भोलानाथ कुशवाहा ने पढ़ा- मान्यता है कि क्षितिज है/वहां धरती आकाश मिलते हैं/तो वहीं मिलेंगे क्षितिज पर। अनिल अंकित ने सुनाया- अपने को परखता हूँ। मीठा जहर भी चखता हूँ। जब जब कविता लिखता हूँ। आशा दिनकर ने ग़ज़ल सुनाई- ख्वाब सुन्दर और खूबसूरत नज़ारे होते। इस  जिन्दगी में काश आप हमारे होते। कार्यक्रम का संचालन कुमारी सृष्टि राज ने किया। धन्यवाद हिंदी श्री की संस्थापिका सावित्री कुमारी ने व्यक्त किया। कार्यक्रम को सैकड़ों लोगों ने देखा जिनमें – डॉ हरेराम सिंह, इरफान कुरैशी, वेद प्रकाश प्रजापति, सरोज गुप्ता, सेवालाल प्रजापति, कुश तिवारी, पूजा कृष्ना, भास्कर रामस्वरूप, कमल पुंढीर, अनिल कुमार सिंह, धारा भुकरवाली आदि विशिष्ट लोग शामिल थे।

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