हिन्दी दिवस | कुमारी सृष्टि राज | हिन्दी श्री पब्लिकेशन

कुमारी सृष्टि राज

हिन्दी और हिन्दी दिवस

हिन्दी हमारी मातृभाषा है, हिन्दी एक भावपूर्ण भाषा है, जिसके माध्यम से बातों के अंदर की गहराई एवं भावनाओं को बहुत अच्छी तरह से समझा जा सकता है । एक बार महात्मा गांधी जी ने कहा था कि जिस तरह ब्रिटेन में अंग्रेजी बोली जाती है और वहाँ के सारे कामकाज भी अंग्रेजी भाषा में किए जाते हैं, उसी प्रकार हिन्दी को भी हमारे देश में राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलना चाहिए । मगर आज तक हम हिन्दी को अपनी राष्ट्रभाषा बनाने में असफल हैं। अभी तक हिन्दी हमारी राज भाषा ही बनी हुई है ।
जब भारत 1947 में आजाद हुआ, तो उस समय का एक सबसे बड़ा मुद्दा राष्ट्रभाषा को चुनना था, क्योंकि भारत में अनेकों प्रकार की भाषाएँ बोली जाती थीं और उन सभी भाषाओं में से एक भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करना बहुत कठिन था। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए 14 सितंबर 1949 को हिन्दी और अंग्रेजी भाषा को राजभाषा घोषित किया गया क्योंकि अधिकांश लोग हिन्दी भाषा को जानते थे। उसके बाद राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के कई बार अनुरोध करने पर भारत में 14 सितंबर 1953 को पहली बार हिन्दी दिवस मनाया गया और उसके बाद से हम हर साल 14 सितंबर को हिन्दी दिवस मनाते हैं।
हिन्दी दिवस के उपलक्ष में हर स्कूल, दफ्तर आदि में कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिससे कि हमें हिन्दी भाषा के बारे में कई जानकारियाँ प्राप्त होती हैं और साथ ही हिन्दी भाषा को बढ़ावा मिलता है।
हिन्दी भाषा का विशाल और अद्भुत इतिहास जानने के बावजूद भी कई ऐसे लोग हैं जो की हिन्दी भाषा बोलने में शर्म महसूस करते हैं जो की बिलकुल भी उचित नहीं हैं, जिस प्रकार अन्य देशों के लोग किसी दूसरी भाषा का प्रयोग न कर अपनी भाषा का प्रयोग बिना किसी शर्म के करते हैं उसी प्रकार हमें भी अपनी भाषा को बोलने में संकोच बिलकुल भी नहीं करना चाहिए। यदि संकोच करते रहे तो गांधी जी जैसे अन्य स्वतंत्रता सेनानी जिन्होनें हिन्दी को भारत की राष्ट्रभाषा का सम्मान मिलने का स्वप्न देखा था, उनका ये स्वप्न हम हिन्दी भाषा को बोलने में शर्म महसूस करके कभी भी पूर्ण नहीं कर पाएंगे।
जय हिंदी, जय हिंद
-कुमारी सृष्टि राज

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कुमारी सृष्टि राज
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