संस्था के तत्वावधान में प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं के सम्बन्ध में विस्तृत विवरण निम्नलिखित है-
आयोजित होने वाली प्रतियागिताएँ
संस्था के तत्वावधान में प्रति वर्ष सामान्य ज्ञान, निबन्ध, गणित, विचार-अभिव्यक्ति, चित्रकला, सामान्य हिन्दी ज्ञान, सामान्य अंग्रेजी ज्ञान, हिन्दी सुलेख, हिन्दी श्रुतलेख, अंग्रेजी सुलेख एवं अंग्रेजी श्रुतलेख प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
प्रतियोगिताओं में भाग कैसे लें?
इन प्रतियोगिताओं में संस्था द्वारा निर्धारित आवेदन-पत्र भरकर भाग लिया जा सकता है। सभी प्रतियोगिताएँ अलग-अलग समय पर होंगी। अतः सभी प्रतियोगिताओं में भाग लिया जा सकता है। प्रत्येक प्रतियोगिता हेतु अलग-अलग आवेदन-पत्र भरना होगा।
आवेदन-पत्र उपलब्ध होने का स्थान
आवेदन-पत्र अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य अथवा संस्था द्वारा निर्धारित केन्द्रों से निर्धारित शुल्क रु0120.00 (सभी शुल्कों सहित) जमा कर प्राप्त किया जा सकता है।
आवेदन-पत्र संकलन एवं प्रवेश पत्र वितरण
प्रतिभागी अपना आवेदन-पत्र जहाँ से प्राप्त किये हैं, वहीं जमा कर दें। अपना प्रवेश-पत्र वहीं से आवेदन-पत्र जमा करने की अंतिम तिथि के एक सप्ताह पश्चात प्राप्त कर लें। प्रतियोगिताओं हेतु परीक्षा केन्द्र सभी प्रतियोगिताएँ जनपद मुख्यालय पर ही किसी विद्यालय में आयोजित की जायेंगी।
प्रतियोगिताओं हेतु निर्धारित किये गये वर्ग
इन प्रतियोगिताओं हेतु चार वर्ग निर्धारित किये गये हैं, जो निम्नवत हैं- वर्ग कक्षा
कनिष्ठ : इस वर्ग के अन्तर्गत कक्षा चार से छह तक अध्ययनरत विद्यार्थी आयेंगे।
मध्यम : इस वर्ग के अन्तर्गत कक्षा सात एवं आठ में अध्ययनरत विद्यार्थी आयेंगे।
ज्येष्ठ : इस वर्ग के अन्तर्गत कक्षा नौ एवं दस में अध्ययनरत विद्यार्थी आयेंगे।
वरिष्ठ : इस वर्ग के अन्तर्गत कक्षा ग्यारह एवं बारह में अध्ययनरत विद्यार्थी आयेंगे। प्रतिभागियों को अपनी कक्षा को ध्यान में रखकर सावधानीपूर्वक अपने वर्ग का निर्धारण करना चाहिए। गलत वर्ग का निर्धारण करने पर उनका आवेदन-पत्र निरस्त कर दिया जायेगा। यदि वे प्रतियोगिता में सम्मिलित हो जाते हैं और पुरस्कार के लिए भी चयनित हो जाते हैं तब भी गलत वर्ग होने पर उनका चयन निरस्त कर दिया जायेगा। समस्त चयनित प्रतिभागियों की कक्षा सम्बन्धी प्रमाण-पत्र उनके विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा प्रमाणित कराया जायेगा। तत्पश्चात ही उन्हें पुरस्कृत किया जायेगा। अतः इसका ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है।
प्रतियोगिताओं के परिणाम की घोषणा
सामान्य ज्ञान, गणित, सामान्य हिन्दी ज्ञान, सामान्य अंग्रेजी ज्ञान प्रतियोगिता के परिणाम प्रतियोगिता सम्पन्न होने के एक सप्ताह पश्चात एवं अन्य लिखित प्रतियोगिताओं के परिणाम एक माह पश्चात जारी कर दिये जाएँगे । विचार-अभिव्यक्ति प्रतियोगिता का परिणाम प्रतियोगिता तिथि के दिन ही प्रतियोगिता स्थल पर घोषित कर दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त परिणाम प्रपत्र विद्यालयों में भी भेजा जाएगा जहाँ से प्रतिभागी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पुरस्कार के लिए चयनित प्रतिभागियों को व्यक्तिगत रूप से पत्र द्वारा भी सूचित किया जाएगा।
पुरस्कार वितरण
संस्था के तत्वावधान में आयोजित समस्त प्रतियोगिताओं में चयनित प्रतिभागियों को संस्था के वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह (चेतना महोत्सव) में पुरस्कृत किया। जायेगा। प्रत्येक प्रतियोगिता के प्रत्येक वर्ग में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को स्मृति-चिह्न व प्रमाण-पत्र तथा पाँच प्रशंसित प्रतिभागियों को प्रमाण-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जायेगा।
केवल कनिष्ठ वर्ग (कक्षा 4 से 6) एवं मध्यम वर्ग (कक्षा 7 एवं 8) के प्रतिभागियों हेतु आयोजित प्रतियोगिताएँ
केवल कनिष्ठ एवं मध्यम वर्ग के प्रतिभागियों के लिए सामान्य हिन्दी ज्ञान, सामान्य अंग्रेजी ज्ञान, हिन्दी सुलेख, हिन्दी श्रुतलेख, अंग्रेजी सुलेख, अंग्रेजी श्रुतलेख प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। प्रश्न पत्र उनके वर्ग, कक्षा एवं पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। इन प्रतियोगिताओं के सम्बन्ध में विस्तृत विवरण निम्नलिखित है-
सामान्य हिन्दी ज्ञान
इस प्रतियोगिता में बहुविकल्पीय प्रश्न दिये जाते हैं। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों के हिन्दी भाषा ज्ञान का परीक्षण किया जाता है जिसके अन्तर्गत पर्यायवाची, अलंकार, समास, सन्धि, तद्भव, तत्सम्, वाक्यांशों के लिए एक शब्द, शुद्ध एवं अशुद्ध शब्द/वाक्य, मात्रा, वर्तनी, अनेकार्थी शब्द, विलोम आदि दिये जाते हैं। इस प्रतियोगिता हेतु 30 मिनट का समय निर्धारित है।
सामान्य अंग्रेजी ज्ञान
इस प्रतियोगिता में भी बहुविकल्पीय प्रश्न दिये जाते हैं। इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों के अंग्रेजी भाषा ज्ञान का परीक्षण किया जाता है जिसके अन्तर्गत Articles, Preposition, Parts of Speech, Spelling, Pun-ctuation, Active, Passive, Synonyms, Antonyms & Narration etc. दिये जाते हैं। इस प्रतियोगिता हेतु भी 30 मिनट का समय निर्धारित है।
हिन्दी सुलेख
इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को हिन्दी गद्य-खण्ड दिया जाता है जिसे उनको सुन्दर अक्षरों में लिखना होता है। प्रतिभागियों की उत्तर-पुस्तिका का मूल्यांकन लिखावट एवं भाषा को ध्यान में रखकर किया जाता है। इस प्रतियोगिता हेतु भी 30 मिनट का समय निर्धारित है।
हिन्दी श्रुतलेख
इस प्रतियोगिता के अन्तर्गत प्रतिभागियों के सम्मुख कोई हिन्दी गद्य-खण्ड प्रस्तुत किया जाता है जिसको सुनकर उनको लिखना होता है। प्रतिभागियों की उत्तर-पस्तिका का मल्यांकन भाषा, वर्तनी और लिखावट के आधार पर किया जाता है। इस प्रतियोगिता हेतु भी 30 मिनट का समय दिया जाता है।
अँग्रेजी सुलेख
इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को अँग्रेजी गद्य-खण्ड दिया जाता है जिसे उनको सुन्दर अक्षरों में लिखना होता है। प्रतिभागियों की उत्तर-पुस्तिका का मूल्यांकन लिखावट एवं भाषा को ध्यान में रखकर किया जाता है। इस प्रतियोगिता हेतु भी 30 मिनट का समय निर्धारित है।
अँग्रेजी श्रुतलेख
इस प्रतियोगिता के अन्तर्गत प्रतिभागियों के सम्मुख कोई अँग्रेजी गद्य-खण्ड प्रस्तुत किया जाता है जिसको सुनकर उनको लिखना होता है। प्रतिभागियों की उत्तर-पुस्तिका का मूल्यांकन भाषा, वर्तनी और लिखावट के आधार पर किया जाता है। इस प्रतियोगिता हेतु भी 30 मिनट का समय दिया जाता है।
सभी वर्गों के प्रतिभागियों के लिए आयोजित प्रतियोगिताएँ
सभी वर्गों के प्रतिभागियों के लिए सामान्य ज्ञान, निबन्ध, गणित, विचार-अभिव्यक्ति एवं चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। प्रश्न-पत्र उनके वर्ग, कक्षा एवं पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। इन प्रतियोगिताओं के सम्बन्ध में विस्तृत विवरण निम्नलिखित है-
सामान्य ज्ञान
इस प्रतियोगिता में बहुविकल्पीय प्रश्न दिये जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न के चार उत्तर दिये जाते हैं जिसमें से सही उत्तर का चयन प्रतिभागियों को करना होता है। 50 प्रश्नों के लिए 45 मिनट समय दिया जाता है। प्रतिभागियों के सामान्य ज्ञान परीक्षण हेतु प्रश्न विभिन्न क्षेत्रों (साहित्य, राजनीति, खेल, विज्ञान, भारतीय संस्कृति, इतिहास, भूगोल, कृषि, भारतीय संविधान, संगीत, फिल्म, पुरस्कार, समसामयिक आदि) से दिये जाते हैं।
गणित प्रतियोगिता
इस प्रतियोगिता में भी बहुविकल्पीय प्रश्न दिये जाते हैं। प्रत्येक प्रश्न के दिये गये चार उत्तर में से सही उत्तर का चयन प्रतिभागियों को करना होता है। 1 घण्टे में 25 प्रश्न हल करने होते हैं। रफ कार्य हेतु प्रतिभागियों को अलग से कागज उपलब्ध कराया जाता है। प्रश्न-पत्र एवं उत्तर-पत्र पर किसी प्रकार का रफ कार्य करना वर्जित है।
चित्रकला प्रतियोगिता
चित्रकला प्रतियोगिता के दो खण्ड होते हैं- पदार्थ-चित्रण एवं स्मृति-चित्रण। पदार्थ-चित्रण के अन्तर्गत प्रतिभागियों को सामने रखी वस्तु या वस्तुओं के समूह का चित्र बनाकर उसे छाया एवं प्रकाश द्वारा सजाना होता है। इस खण्ड में केवल पेंसिल का प्रयोग करना होता है। स्मृति-चित्रण के अन्तर्गत प्रतिभागियों को रंग की सहायता से चित्र बनाना होता है। स्मृति-चित्रण हेतु प्रत्येक वर्ग के लिए विषय निर्धारित है जिसका उल्लेख विवरणिका के साथ दिये गये पत्रक में है। प्रतिभागियों को प्रतियोगिता में इसी दिये गये विषय पर चित्र बनाकर रंगों से सजाना है। इस प्रतियोगिता हेतु कला-पत्र (Drawing Sheet) संस्था उपलब्ध कराती है। पेंसिल, रंग, ब्रश, पैड (दफ्ती) आदि प्रतिभागियों को स्वयं लाना होगा। इस प्रतियोगिता हेतु कुल समय 2 घण्टे का है।
निबन्ध प्रतियोगिता
निबन्ध प्रतियोगिता हेतु प्रत्येक वर्ग के प्रतिभागियों के लिए केवल शीर्षक दिया गया है। प्रतियोगिता के दिन दिये जाने वाले प्रश्न-पत्र में शीर्षक के किसी पक्ष से सम्बन्धित चार विषय दिये जायेंगे। इन दिये गये चार विषयों में से किसी एक का चयन कर प्रतिभागियों को अपना विचार हिन्दी अथवा अंग्रेजी किसी एक भाषा में प्रस्तुत करना होगा। इस प्रतियोगिता हेतु प्रतिभागियों को 1 घण्टे का समय दिया जायेगा। विचार-अभिव्यक्ति प्रतियोगिता
इस प्रतियोगिता हेतु प्रतिभागियों को विषय आवेदन-पत्र के साथ ही दिया गया है। दिये गये विषय पर प्रतिभागियों को अपना विचार स्वतंत्र रूप से व्याख्यान के रूप में हिन्दी भाषा में प्रस्तुत करना होता है। पक्ष या विपक्ष का बन्धन नहीं है। इस प्रतियोगिता में प्रत्येक प्रतिभागियों को अधिकतम 7 मिनट का समय दिया जाता है।
Thought Expression Contest
Subjects have been given to the contestants for this contest with this application form. On the given subjects contestants are to express their opinion freely in the form of lecture in English. There is no boundation to express opinion pro or against. In this competition a period of seven minutes is given to the each contestant.
सामान्य ज्ञान, गणित, सामान्य हिन्दी ज्ञान एवं सामान्य अंग्रेजी ज्ञान प्रतियोगिताओं में उत्तर कैसे दर्शायें?
परीक्षा भवन में प्रतिभागियों को सर्वप्रथम ओ. एम. आर. शीट (O.M.R.Sheet) दी जाएगी, जिस पर उन्हें अपना नाम एवं अनुक्रमांक आदि भरना होगा। थोड़ी देर बाद प्रश्न-पत्र का लिफाफा दिया जाएगा। प्रश्न-पत्र का लिफाफा तब तक नहीं खोलना है जब तक परीक्षा संचालक/कक्ष निरीक्षक निर्देश न दें। समय की गणना लिफाफा खोलने के साथ ही शुरू हो जाएगी। प्रश्न-पत्र प्रतिभागी अपने साथ घर ले जाएँगे। केवल ओ. एम. आर. शीट (O.M.R. Sheet) ही जमा करेंगे। ओ. एम. आर. शीट (O.M.R. Sheet) पर आप को प्रश्न का उत्तर सावधानीपूर्वक दर्शाना होगा। शीट पर प्रत्येक प्रश्न संख्या के सम्मुख चार विकल्प (A, B, C, D) दिए जाएँगे जिसमें से सही विकल्प वाले गोले को आपको भरना होगा। गोला भरने के लिए आपको केवल नीले या काले रंग की बालपेन का प्रयोग करना है, पेंसिल का प्रयोग वर्जित है।
इन प्रतियोगिताओं में ऋणात्मक अंकन (Negative Marking) किया जाएगा। अतः प्रतिभागियों को उत्तर का चयन सोच-समझ कर ही करना चाहिए। प्रत्येक सही उत्तर पर जहाँ 2 (दो) अंक दिया जाएगा वहीं प्रत्येक गलत उत्तर पर 1 (एक) अंक की कटौती की जाएगी।
निर्णायक समिति का निर्णय
अंतिम एवं सर्वमान्य संस्था द्वारा आयोजित समस्त प्रतियोगिताओं के संबंध में निर्णायक समिति का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा। इस संबंध में किसी प्रकार का दावा मान्य नहीं होगा। गलत सूचना एवं जानकारी देने पर प्रतिभागी की पात्रता रद्द करने का समिति को पूरा अधिकर होगा।
संस्था की संस्थापना क्यों, कब और कैसे ?
अमर नाथ तिवारी ‘अमर’, संस्थापक

विद्यार्थी जीवन के प्रारम्भिक स्तर से ही मेरी रुचि साहित्यिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में रहती थी। प्रारम्भिक स्तर पर ही विद्यालय में आयोजित होने वाली बाल सभा एवं कवि-दरबार में कभी भाषण, कभी कविता के माध्यम से अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करना मेरे अभ्यास में हो गया था। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार प्राप्त करने की ललक मन में सदैव बनी रहती थी। पुरस्कार प्राप्त कर लेने के पश्चात अगली प्रतियोगिता एवं कार्यक्रम के विषय में सोचना अच्छा लगता था। कक्षा 8 में अध्ययन के दौरान जब मेरी एक छोटी रचना स्थानीय दैनिक में प्रकाशित हुई तो लेखन की ओर भी झुकाव हो गया। इसके पश्चात स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं के अतिरिक्त कादम्बिनी, धर्मयुग जैसी प्रतिष्ठित प्रमुख पत्रिकाओं में छपने का अवसर मिलने के उपरान्त उत्साह और भी बढ़ गया। विज्ञान विषय की शुष्कता और व्यापक पाठ्यक्रम के बीच भी मेरा साहित्यिक मन साहित्य की ओर निरन्तर प्रेरित करता रहा और मैं हिन्दी जगत के साहित्य को निरन्तर पढ़ता गया। साहित्य के प्रति अतीव रुचि के कारण इण्टरमीडिएट के पश्चात विज्ञान वर्ग की नीरसता एवं बोझिलता से विमुख होकर स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं में साहित्यिक वर्ग से जुड़ गया, तत्पश्चात कानून की पढ़ाई की।
नगर के साहित्यिक सन्नाटे को तोड़ने वाले कवि सम्मेलनों एवं मुशायरों की मुझे उत्सुकता से प्रतीक्षा रहती और इन आयोजनों में मैं अवश्य पहुंचता। धीरे-धीरे ऐसे आयोजन भी कम होते गये। जूनियर स्तर तक तो बाल सभा, कवि-दरबार एवं समय-समय पर आयोजित होने वाली विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं एवं कार्यक्रमों के माध्यम से मेरी साहित्यिक चेतना जागृत होती रही किन्तु इसके बाद तो मेरी इन गतिविधियों पर जैसे रोक लग गयी। इसका कारण कालेज स्तर पर इस प्रकार के आयोजनों की प्रायः शून्यता रहती या यह कह लिया जाय कि अवसर नहीं निकल पाता। गाजीपुर में कोई ऐसा साहित्यिक मंच नहीं था जहाँ उभरती हुई प्रतिभाओं को अपनी प्रतिभा-प्रदर्शन का अवसर मिल सके। ऐसे किसी गैर राजनैतिक एवं शुद्ध रूप से साहित्यिक-सांस्कृतिक मंच के अभाव में मेरी
इन गतिविधियों को सही दिशा नहीं मिल सकी। मुझे लगा कि मेरे जैसे न जाने कितने विद्यार्थी होंगे जिन्हें मंच न मिलने के कारण अपनी इच्छाओं एवं अभिव्यक्तियों को दमित करना पड़ता होगा, उनकी प्रतिभा कुण्ठित हो जाती होगी। विद्यालयों में धीरे-धीरे ऐसे आयोजनों के प्रति उदासीनता आने लगी थी क्योंकि विद्यालयों की भी अपनी विवशता है। अवकाश के अतिरिक्त मिले कार्य दिवस में भारी-भरकम पाठ्यक्रम पूरा कराकर विद्यार्थियों को परीक्षा के लिए तैयार करना उनकी प्रथम वरीयता होती है। इन परिस्थितियों में सांस्कृतिक एवं साहित्यिक आयोजनों की विद्यालयों से अपेक्षा करना अपने आपको धोखे में रखना है।
इसके अतिरिक्त समाज की वर्तमान स्थिति देखकर मन उद्विग्न रहता था। आज समाज व राष्ट्र विभिन्न समस्याओं से ग्रस्त हैं। चतुर्दिक हिंसा व परस्पर घृणा का भाव दिखाई दे रहा है। भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। सर्वत्र व्याप्त भ्रष्टाचार एवं व्यक्तिगत तथा राष्ट्रीय चरित्र का सर्वसामान्य में अभाव जैसे तथ्य राष्ट्र की दुर्बलता के रूप में विद्यमान हैं। राष्ट्र एवं समाज के प्रति समर्पण का भाव समाप्त होता जा रहा है। वर्तमान दौर में मानव की स्वार्थी प्रवृत्ति अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु दूसरों का गला घोंट देना चाहती है। हमारे नैतिक एवं चारित्रिक मूल्यों का क्षरण इसका मूल कारण है। इसके लिए हमें आत्म-मूल्यांकन करने की आवश्यकता है। चरित्र के अन्तर्गत व्यक्ति के मन, वचन एवं कर्म से संबंधित समस्त उपादान आ जाते हैं। इच्छा, विचार उत्पन्न कर उसे कार्यान्वित करती है। इच्छा, ज्ञान, क्रिया और विचार का चक्र अबाध गति से चलता रहता है। इस समस्त प्रक्रिया का सार तत्व नवनीत (मक्खन) के रूप में चरित्र नामक तत्व का निर्माण होता है जो हमारे व्यक्तित्व का स्वरूप बनता है। आत्म-तत्व होने के कारण चरित्र हमारी स्थायी सम्पत्ति है। चरित्रवान एवं दृढ़निश्चयी व्यक्तियों से ही एक सबल, सशक्त, समृद्ध समाज एवं राष्ट्र का निर्माण संभव है। आज समाज में जो विकृतियाँ आयी हैं, वे समाज की सहज स्वीकृतियाँ न बन जाँय, यह विचारणीय है।
मानव ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। मानव का असीम विकास हो सकता है किन्तु जब वह अत्यन्त संकीर्ण सीमाओं में संकुचित होने लगता है तब समाज के संतुलन की स्थिति के लिए भी संकट बन जाता है। विकारग्रस्त मानव-मन संकुचित होने लगता है जिससे उसके अन्दर समष्टि के लिए कल्याणकारी उदात्त भावनाओं का लोप हो जाता है। वह केवल व्यष्टि तक ही सीमित होकर रह जाता है। मानव हृदय की विशालता एवं व्यापकता के अभाव में ही सुख, शांति, आनन्द एवं समृद्धि के सभी विकल्प प्रायः विफल हो जाते हैं।
मानव-हृदय को व्यापक बनाने में साहित्य की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। साहित्यकारों ने जीवन के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में अभिव्यक्त कर लोगों को उच्च जीवन-मूल्यों की ओर प्रेरित किया है। भारतीय समाज में व्यक्ति की भूमिका का नेतृत्व करने वाले हमारे रामचरितमानस में तुलसीदास ने जनमानस को शांतिपूर्ण एवं समन्वित जीवन जीने की प्रेरणा दी है। विश्व के प्रसिद्ध रचनाकार-मुंशी प्रेमचंद, टॉलस्टाय एवं शेक्सपीयर आदि ने भी अपनी उत्कृष्ट रचनाओं द्वारा सामाजिक अन्याय एवं शोषण को समाप्त कर सच्ची मानवता की ओर अभिप्रेरित किया है।
भारत अध्यात्म के क्षेत्र में विश्व गुरु रहा है। भक्तिकाल की रचनाएँ हमें अपने जीवन-मूल्यों की ओर ले जाती हैं। इन कवियों के अध्यात्म-चिंतन में राष्ट्रहित निहित है। छायावादी कवियों ने भी प्रकृति का सत्य, शिव एवं सुन्दर स्वरूप ही अंगीकार किया है जो हितप्रद है।
आज विश्व में जो तनाव एवं हिंसा का वातावरण है उसके पीछे कारण यह है कि लोगों के मन से सात्विक सौन्दर्यबोध समाप्त होता जा रहा है। इस सौन्दर्यबोध का अर्थ केवल शारीरिक सौन्दर्य से नहीं होता बल्कि पृथ्वी के रहस्य तथा मानवकृत विविध विधाओं जैसे साहित्य, संगीत और कला आदि से होता है। पराभौतिक तत्वों के प्रति अभीप्सा के जागरण से ही ऐसे सौन्दर्यबोध की प्राप्ति होती है। यदि व्यक्ति का सौन्दर्यबोध जागृत रहे तो वह हिंसा, घृणा ईर्ष्या एवं द्वेष आदि से मुक्त रहेगा। यह सौन्दर्यबोध हम सत्साहित्य के सृजन एवं प्रचार-प्रसार से समाज में पैदा कर सकते हैं। इस प्रकार समाज-निर्माण में सत्साहित्य की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण है। मनुष्य को वास्तव में मनुष्य बनाने के लिए उच्च जीवन-दर्शन एवं सत्साहित्य की महती आवश्यकता है। इसके अभाव में मानव में चारित्रिक अपकर्ष हो रहा है। इसका दुष्प्रभाव विशेष रूप से युवाओं में देखने को मिल रहा है। अश्लील साहित्य एवं फूहड़ सांस्कृतिक आयोजनों से किशोर व किशोरियों का शारीरिक, मानसिक, नैतिक, चारित्रिक एवं आध्यात्मिक पतन हो रहा है।
किसी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र की चेतना को जब तक जागृत नहीं किया जायेगा, तब तक वह सही एवं सार्थक दिशा में आगे नहीं बढ़ सकती। किसी भी राष्ट्र की शक्ति का स्रोत वहाँ स्थित खनिज सम्पदा एवं अन्य भण्डार के साथ ही वहाँ की युवा शक्ति भी है। युवा शक्ति ही किसी भी राष्ट्र की रीढ़ है। युवा शक्ति, राष्ट्र शक्ति का पर्याय है। युवा शक्ति ही एक ऐसी शक्ति है जिस पर कोई राष्ट्र गर्व कर सकता है। यह शक्ति ही किसी राष्ट्र के जीवन-क्रम में ऊर्जा का कार्य करती है। युवा ही राष्ट्र की आशा एवं भविष्य हैं। विश्व के किसी भी कोने में कोई भी बड़ा परिवर्तन बिना युवा शक्ति के संभव नहीं है। इनकी आवश्यकता खेत से खलिहान तक एवं जमीन से आसमान तक एक जैसी है। जिस किसी राष्ट्र ने इस शक्ति स्रोत को पहचान लिया और उनकी ऊर्जा का सही दिशा में उपयोग किया, वह राष्ट्र विश्व के सामने गर्वोन्नत सीना तान कर खड़ा हो सका। युवा मन शक्ति व साधन का वह स्रोत है जिसके सामने असंभव कुछ भी नहीं है। किसी भी राष्ट्र को सजाने, सँवारने एवं संरक्षित करने के वे सारे प्रयास निश्चित रूप से निष्फल हो जायेंगे जिनमें युवाओं की सहभागिता नहीं होगी। युवाओं की सोच, समाज में उनकी सक्रियता एवं राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण पर ही राष्ट्र की बुनियाद निर्भर करती है। समाज की सम्यक शक्ति युवाओं में केन्द्रीभूत होती है इसलिए युवा वर्ग की चेतना जब तक जागृत नहीं होती, कोई भी समाज या राष्ट्र उन्नति नहीं कर सकता।
राष्ट्र की शक्ति राष्ट्रीय एकता में निहित है और राष्ट्र की एकता उस राष्ट्र की युवा चेतना पर निर्भर है। एकता का बीज देश के युवाओं की पुष्कल भावनाओं में सन्निहित है। देश-प्रेम की भावना देश के युवा-मन को धर्म, जाति, सम्प्रदाय, भाषा और प्रांत की संकीर्णताओं से ऊपर उठाकर देशहित में सोचने और कुछ करने के लिए अभिप्रेरित करती है। अतः किसी राष्ट्र को शक्तिशाली, सम्पन्न, समुन्नत एवं समृद्ध बनाना है तो उस राष्ट्र के युवाओं को उचित मार्गदर्शन प्रदान कर उनमें पुनीत संस्कार डालने की ओर ध्यान देना होगा जिससे उनका बौद्धिक विकास हो और उनके अन्दर सामाजिक एवं राष्ट्रीय चेतना पैदा हो। स्वस्थ युवा चेतना के अभाव में समृद्ध एवं सशक्त राष्ट्र की कल्पना दिवास्वप्न-सी है। इतिहास साक्षी है कि जब-जब समाज ने युवाओं की ओर आशान्वित दृष्टि से देखा है तब-तब युवाओं ने देश को निराश नहीं किया है। अपने देश का इतिहास ऐसे असंख्य उदाहरणों से भरा पड़ा है। युवाओं के अद्भुत त्याग, तपस्या, बलिदान, ज्ञान, शुचिता, शौर्य एवं पराक्रम की हमारे देश में गौरवशाली परम्परा रही है। ध्रुव और प्रह्लाद की क्या अवस्था थी जब उन्होंने अध्यात्म के शिखर को प्राप्त किया। बुद्ध और महावीर जब गृह-त्याग कर अध्यात्म-पथ पर अग्रसर हुए तो युवा ही थे। रावण के आतंक व अत्याचार से समाज को मुक्त कराने वाले राम, अर्जुन को सत्य संरक्षा हेतु रण-क्षेत्र में उतारने और गीता का उपदेश देकर कर्त्तव्यबोध कराने वाले कृष्ण, सात समुन्दर पार जाकर भारतीय संस्कृति की अलख जगाने वाले विवेकानन्द, वैश्विक स्तर पर अपने दार्शनिक चिन्तन के द्वारा वैचारिक विचलन उत्पन्न करने वाले डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन, दक्षिण अफ्रीका में अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के साथ सौतेले व्यवहार का विरोध करने वाले महात्मा गाँधी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसी विश्वस्तरीय शैक्षिक संस्था की स्थापना करने वाले पं० मदन मोहन मालवीय, विश्व फलक पर अपनी रचनाओं के द्वारा भारतीय साहित्य की पहचान बनाने वाले विश्वकवि कविकुल-गुरु कवीन्द्र रवीन्द्र, विज्ञान के क्षेत्र में नव्यतम अन्वेषी दृष्टि रखने वाले सर सी०वी० रमन, पौधों में संवेदना के आविष्कर्ता जगदीश चन्द्र बसु, लंदन जाकर आई०ए०एस० परीक्षा में अपनी प्रतिभा प्रदर्शन करने वाले सुभाष चन्द्र बोस, भारत माँ को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, अशफाकउल्ला, अंग्रेजों के दाँत खट्टे करने वाली वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई एवं युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ाने वाले वीर अब्दुल हमीद जैसे युवाओं की एक लम्बी परम्परा रही है।
जब-जब युवाओं ने अंगड़ाई ली है, इतिहास बदला है किन्तु दुःख इस बात का है कि विकृत व्यवस्था और उचित मार्गदर्शन के अभाव में राष्ट्र की यह बड़ी शक्ति हताशा एवं दिग्भ्रम का शिकार है। दिग्भ्रमित युवा अवांछनीय एवं राष्ट्रविरोधी तत्वों के हाथ की कठपुतली बनकर थोड़े से प्रलोभन में भयंकर राष्ट्रीय अहित तक करने को तैयार हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात युवाओं की भूमिका निरंतर गौण होती जा रही है। वर्तमान में भारतीय युवा स्वप्नजीवी होते जा रहे हैं। फिल्मों की तरह स्वप्निल कल्पनाओं की उड़ान भरना उनका शगल बनता जा रहा है जो उनमें संघर्ष से विमुख होने की प्रवृत्ति विकसित कर रहा है। हम युवाओं के लिए न कोई रचनात्मक कार्यक्रम दे पाये हैं और न समाज-निर्माण में उनकी स्पष्ट भूमिका ही निर्धारित कर सके हैं किन्तु सारा उत्तरदायित्व शासन पर डालकर यथेष्ट प्राप्ति की आशा करना हास्यास्पद है। केवल शासन के बलबूते दुनिया का कोई समाज न तो उन्नत हुआ है और न होगा।
वर्तमान पीढ़ी एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है जहाँ से राहों का अन्वेषण, गन्तव्य की परख और यात्रा का संकल्प अभीष्ट हैं। आगे बढ़ने की उचित दिशा का निर्णय युवा स्वयं कर सकें तो उनके भीतर आत्मविश्वास के अंकुर का प्रस्फुटन स्वयमेव होने
लगेगा। देश को सैनिक, आर्थिक व राजनीतिक शक्ति के रूप में स्थापित करने तथा समाजिक एवं दूषित सांस्कृतिक परिवेश को कलुषहीन करने हेतु युवा वर्ग को जागृत करने की अतीव आवश्यकता है।
युवाओं में बढ़ रही कुण्ठा, संस्कारहीनता तथा सामाजिक व राष्ट्रीय उत्तरदायित्व के प्रति उदासीनता को देखकर मेरा मन क्षुब्ध हो उठता था। गाजीपुर जैसे जनपद में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों का घोर अभाव भी मन में खटकता था। इस प्रकार के साहित्यिक-सांस्कृतिक आयोजनों से जहाँ सम्यक् बोध जागृत होता है वहीं विद्यार्थियों के मन में व्याप्त कुण्ठा, हीनता एवं संकोच का विधिवत विरेचन हो जाता है। उनको अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है। प्रत्येक व्यक्ति के अन्दर ईश्वर प्रदत्त कुछ मौलिक गुण होते हैं। इन्हीं मौलिक गुणों के आधार पर ही कोई व्यक्ति समाज की महत्तम सेवा कर सकता है। यदि किसी व्यक्ति में राजनीतिक चातुर्य का अभाव हो तो वह व्यक्ति राजनीति के माध्यम से कभी भी समाज की यथेष्ट सेवा नहीं कर सकता। अपने चिन्तन के आधार पर मैंने समझा कि समाज निर्माण में साहित्य की भूमिका भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यदि एक स्वस्थ समाज का निर्माण करना है तो हमें युवा मन को सही दिशा देनी होगी। जिस प्रकार नदियों को काटकर नहरें निकाली जाती हैं और उन नदियों का पानी बाढ़ की विभीषिका उत्पन्न करने की बजाय नहरों के रूप में प्रवाहित होकर लोकमंगलकारी बन जाता है। ठीक वैसे ही युवा पीढ़ी के प्रचण्ड ज्वार को साहित्य व कला की चेतना के दो किनारों के बीच प्रवाहित कर दिया जाय तो वह राष्ट्र एवं समाज के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा।
अपने चिन्तन के आधार पर मैंने भी राष्ट्र, साहित्य एवं जनसेवा के लक्ष्यों की पूर्ति हेतु मन बनाया। व्यक्तिगत प्रयास ही पर्याप्त नहीं होते इसीलिए गहन आत्म-चिन्तन एवं विचार-मंथन के पश्चात् उक्त उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु अपने उत्साही, जागरूक एवं कर्मठ मित्रों की सहायता से मैंने एक संस्था के सुगठन का निश्चय किया जिससे अधिक से अधिक लोग मिलकर संस्था के अभीष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सत्प्रयास करें। मैंने अपने मित्रों के सहयोग से ‘साहित्य चेतना समाज’ नामक साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्था का गठन दिनांक 29 अक्टूबर सन् 1985 को किया। विद्वानों, वरिष्ठ चिन्तकों, प्रबुद्ध साहित्यकारों एवं बुद्धिजीवियों ने संस्था को अपनी शुभकामनाएं दीं, साथ ही संस्था को सक्रियता एवं गतिशीलता प्रदान करने के लिए अभिप्रेरित भी किया।
संस्था का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों का व्यक्तित्व निर्माण, बौद्धिक विकास, नैतिक व चारित्रिक उत्थान करना एवं उनमें सामाजिक समरसता, साहित्यिक चेतना, समाज-सेवा तथा राष्ट्र-प्रेम की भावना उत्पन्न करना है। संस्था का गठन करके सम्पूर्ण समाज को चैतन्य बनाने का स्वप्न संजोये हुए विशेषतः युवा वर्ग को राष्ट्रीय चेतना से ओत-प्रोत करके उनकी ऊर्जा को रचनात्मक दिशा में मोड़ने का एक सार्थक एवं विनीत प्रयास प्रारम्भ किया गया। राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण हो तथा वे राष्ट्रीय एकता एवं अखण्डता के प्रति दृढ़निष्ठा से प्रतिबद्ध हो भारतीयता के शाश्वत मूल्यों से अभिप्रेरित हों। दिग्भ्रमित हो रहे युवा वर्ग को सत्साहित्य के सृजन व प्रचार-प्रसार के माध्यम से उन्हें सुमार्ग पर लाने एवं समाज तथा राष्ट्र के प्रति जिम्मेदार व जागरूक नागरिक की भूमिका निभाने के साथ उन्हें सक्षम बनाने में संस्था निरन्तर प्रयत्नशील है। संस्था का यह प्रयास है कि युवाओं का सुदृढ़ व्यक्तित्व विकसित हो। वे संकीर्णता से ऊपर उठकर विश्व-बन्धुत्व की भावना से ओत-प्रोत हो राष्ट्र निर्माण हेतु रचनात्मक भूमिका निभायें। उनमें अन्तरराष्ट्रीय विवेक भी विकसित हो और वे मानवता के संवाहक बनें। इसके साथ ही युवा पीढ़ी बदलती हुई जागतिक परिस्थितियों में समाज, राष्ट्र एवं मानवता के हित को समझ सके तथा उसमें ऐसा बोध जागृत हो जिससे वह कर्तव्य-अकर्तव्य तथा सत्य-असत्य को पहचान सके और एक सम्यक् जीवन-दृष्टि विकसित कर सके।
मिर्ज़ापुर में आयोजित होने वाली प्रतियोगिता का विवरण (2025)
सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता
इस प्रतियोगिता में बहुविकल्पीय प्रश्न दिए जाएंगे। प्रत्येक प्रश्न के चार उत्तर में से सही उत्तर का चयन करना है। 50 प्रश्नों के लिए 45 मिनट का समय दिया जाएगा। प्रतिभागियों के सामान्य ज्ञान परीक्षण के लिए विभिन्न क्षेत्रों (साहित्य, राजनीति, खेल, विज्ञान, भारतीय संस्कृति, इतिहास, भूगोल, कृषि, भारतीय संविधान, संगीत, फिल्म, पुरस्कार, समसामयिक आदि) से प्रश्न दिए जाएंगे। सामान्य जान प्रतियोगिता में ऋणात्मक अंकन (Negative Marking) की जाएगी। प्रत्येक सही उत्तर पर जहाँ 2 (दो) अंक दिया जाएगा, वहीं प्रत्येक गलत उत्तर पर । (एक) अंक की कटौती की जाएगी। अतः प्रतिभागियों को उत्तर का चयन सोच-समझ कर ही करना चाहिए।
निबन्ध प्रतियोगिता
निबन्ध प्रतियोगिता हेतु प्रत्यक वर्ग के प्रतिभागियों हतु कवल शोषक दिया गया है। प्रतियोगिता के दिन दिए जान वाल प्रश्न-पत्र में शीषक क किसी पक्ष से सम्बन्धित चार विषय दिए जाएंगे। इन दिए गए चार विषयों में से किसी एक का चयन कर प्रतिभागियों को अपना विचार हिन्दी अथवा अंग्रेजी किसी एक भाषा में प्रस्तुत करना होगा। इस प्रतियोगिता हेतु प्रतिभागियों को एक घंटा का समय दिया जाएगा।
निबन्ध प्रतियोगिता का शीर्षक (Titles of the Essay Competition) (प्रतिभागी अपना निबन्ध हिन्दी अथवा अंग्रेजी किसी एक भाषा में लिख सकते हैं)
वर्ग-कनिष्ठ – खेल (Sports)
वर्ग- ज्येष्ठ- विज्ञान (Science)
वर्ग- मध्यम- शिक्षा (Education)
वर्ग- वरिष्ठ – भारतीय पत्रकारिता (Journalism in India)
उपर्युक्त शीर्षक के किसी भी पक्ष से सम्बन्धित पहलू निबन्ध का विषय होगा। उदाहरणार्थ पर्यावरण शीर्षक के अन्तर्गत अग्रलिखित विषय हो सकते हैं- पर्यावरण का बिगड़ता सन्तुलन, पर्यावरण और मानव जीवन, बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरण, पर्यावरण संरक्षण के उपाय आदि।
चित्रकला प्रतियोगिता
चित्रकला प्रतियोगिता के दो खण्ड होते हैं- पदार्थ चित्रण एवं स्मृति-चित्रण। पदार्थ-चित्रण के अन्तर्गत प्रतिभागियों को सामने रखी वस्तु या वस्तुओं के समूह का चित्र बनाकर उसे छाया एवं प्रकाश द्वारा सजाना होता है। इस खण्ड में केवल पेंसिल का प्रयोग करना होता है। स्मृति-चित्रण के अन्तर्गत प्रतिभागियों को रंग की सहायता से चित्र बनाना होता है। स्मृति-चित्रण हेतु प्रत्येक वर्ग के लिए विषय निर्धारित है जिसका उल्लेख विवरणिका के साथ दिये गये पत्रक में है। प्रतिभागियों को प्रतियोगिता में इसी दिये गये विषय पर चित्र बनाकर रंगों से सजाना है। इस प्रतियोगिता हेतु कला-पत्र (Drawing Sheet) संस्था उपलब्ध कराती है। पेंसिल, रंग, ब्रश, पैड (दफ्ती) आदि प्रतिभागियों को स्वयं लाना होगा। इस प्रतियोगिता हेतु कुल समय 2 घण्टे का है।
वर्ग-कनिष्ठ- करें योग, रहें निरोग
चित्रकला प्रतियोगिता स्मृति-चित्रण का शीर्षक –
वर्ग- मध्यम- सशक्त नारी, सशक्त भारत
वर्ग- ज्येष्ठ- जगे देश की है पहचान, पढ़ा-लिखा मजदूर किसान
वर्ग- वरिष्ठ- हमारी संस्कृति, हमारी धरोहर
प्रतियोगिताओं की संभावित तिथि एवं स्थान-
प्रतियोगिताएँ सितम्बर/अक्टूबर 2025 में किसी सार्वजनिक अवकाश के दिन मीरजापुर नगर के किसी शिक्षण संस्थान में होंगी।
आवेदन-पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 05 सितम्बर 2025
आवेदन-पत्र हेतु अपने विद्यालय अथवा इन केन्द्रों पर संपर्क करें-
विश्वम्भर स्टेशनरी एण्ड बुक डिपो मुसफ्फरगंज, मीरजापुर।
केशरी स्पोर्ट्स एण्ड सन्स घंटाघर चौराहे के पास मीरजापुर।
दयाशंकर बर्तन वाले गैपुरा (थाना के सामने), मीरजापुर ।
केशरी जनरल स्टोर आवास विकास कालोनी अनगढ़ रोड, मीरजापुर ।
अनिल पुस्तक मन्दिर आर्य कन्या इण्टर कालेज के सामने वासलीगंज, मीरजापुर।
