राहुल भट्ट (कवि), उत्तराखंड की पाँच रचनाएं -1. शहीद की अंतिम चिट्ठी, 2. पिता की कमी 3. मधुशाला 4. बसंत 5. महामारी
1. शहीद की अन्तिम चिट्ठी
धरती पर झूमने,
वतन को यू चूमने।
जन्मा हूँ मैं इस धरा पर मातृभूमि के लिऐ ।।
न समझ ए- जान, तू इश्क मुझको ।
मैं तो वतन का लाल हूँ।।
न ला मुझे तू यूँ ख्वाब में ।
न कर दिल-ए बेहाल तू।।
तेरा इश्क नहीं,
मैं बन पाऊंगा ।
क्योंकि जिस्म मेरा,
इस वतन के नाम है।।
तू इन्तजार करना,
मेरे अगले जन्म का ।
मैं तुझे तब नहीं खोने दूँगा ।।
हो अगर तब फूल तू,
तो मैं भ्रमर बन जाऊँगा।
तू अगर वर्षा बनी,
तो मैं धरा बन जाऊँगा।।
हो अगर तब चांद तू,
तो चांदनी मैं बन जाऊंगा।
हो अगर नदियां बनी,
तो मैं छलकती धार तेरा।।
पर तेरे लिऐ यह जन्म,
हरगिज़ मैं नहीं दे पाऊँगा।।
रोना मत इस जन्म में तुम
तुम प्रेम में मीरा बन जाना
मेरे नाम की माला जपकर
सर्वस्व समर्पण यश पाना
यह जन्म छोड़ आया हूँ
मैं सोनें धरती मां की गोदी में
आज नहीं तो कल प्रिये
मैं बनकर तुम्हारा आऊंगा
उस ईश्वर से बस इतनी खता
हैमौत का पैगाम जल्दी अता
करे तुम रोना मत मुझसे वादो करो
जरा वक्त मुश्किल है हिम्मत भरो।।