साधना शाही जी की रचनाएँ | हिन्दी श्री
शब्द की महिमा भाव की अभिव्यक्ति है शब्द,मानो इसको जैसे अब्द।इनसे जुड़कर वाक्य है बनता।मन के भाव जो व्यक्त है करता।आगे बढ़ा तो बन गया लेख,बड़ी- बड़ी घटना का किया उल्लेख।घटना जुड़- जुड़ बन गई पुस्तक,किस्सा-कहानी साथ में मुक्तक।दोहा, सोरठा, रोला इनसे,ग्रंथ ,उपनिषद भी हैं जिनसे।किंतु यदि ना हों विषयोचित,लेख परत बन होते उपेक्षित।उचित जगह […]