गुरु पूर्णिमा | रचनाएं | हिन्दी श्री पब्लिकेशन

1. गुरु

गुरु तुम दीपक मैं अंधकार ,
किए हैं मुझपे आप उपकार,

पड़ा है मुझपर ज्ञान प्रकाश,
बना है जीवन ये उपवास,

करें नित मुझ पर बस उपकार ,
सजे मेरा जीवन घर द्वार,

गुरु से मिले जो ज्ञान नूर,
हो जाऊं मैं जहां में मशहूर

गुरु से मिले हैं जो मार्गदर्शन,
हो गए हैं मुझे भगवान के दर्शन

गुरु तुम दीपक मैं अंधकार,
किए हैं मुझपे आप उपकार

-धीरेंद्र सिंह नागा


2. अध्यापक

जीवन की कठिन राह में चलना हमको सिखाते।
अच्छाई की राह हमको अध्यापक ही बतलाते।।

जीवन वैसे बहुत जटिल था पर उन्होंने आसान बनाया।
मेरे जीवन बंजर भूमि पर उन्होंने उपवन सा सजाया।।

जीवन की कठिन डगर पर बड़ा सहारा उनका पाया।
कठिनाई से पार निकलना अध्यापक ने हमें बताया।।

जीवन में पड़े मुसीबत उनके ज्ञान काम आते।
अच्छाई की राह हमको अध्यापक ही बतलाते।।

मेरे जीवन का निर्माण उन्हीं से संभव हो पाया।
अंतर में ज्ञान के बीच उन्हीं के कारण वो पाया।।

मुझको मेरी असभ्यता से पूर्णतः मुझे सभ्य बनाया।
जीवन की उन्नत चोटी का सफर उन्हीं ने बतलाया।।

जीवन की हर मुश्किल को आसान वह बनाते।
अच्छाई की राह हमको अध्यापक ही बतलाते।।

-विक्रांत राजपूत चम्बली


3. गुरु का मतलब

गुरु का मतलब है ज्ञान में भारी।
वही होता है ईश्वर का अवतारी।।१।।

वही हमें आंतरिक ज्ञान बतावे।
वही तो हमें स्वर्ग की राह बतावे।।२।।

गुरु ही तो हमारी निशा मिटाता।
वह ही हमें भटकी राह बताता।।३।।

प्रथम गुरु हमारे मात पिता होवे।
उनके बाद बहुत सारे गुरु होवें।।४।।

कुछ गुरु तो है भगवान स्वरूपा।
कुछ गुरु तो हैं आशारामही रूपा।।५।।

गुरु की महिमा सब लोग बतावें।
गुरु ही तो राम और रावण बनावें।।६।।

-डॉ. जय प्रकाश प्रजापति’अंकुश’कानपुरी


4. जीवन के गुरु

मात – पिता से जन्म मिला, गुरु से मिले ज्ञान ।
इन तीनों का न आदर करे, वो मूर्ख अज्ञान ।।

माता होती प्रथम गुरु , गढ़े हमारा मन ।
संस्कार उसके अपनाकर , सफल होए जीवन ।।

दूजे गुरु होते पिता , सिखाए जीवन का पाठ ।
सच्चाई , ईमानदारी पर चलो , बांध लो ये गांठ ।।

तीसरे गुरु वे सभी , जो दिखलाए ज्ञान – प्रकाश ।
हाथ पकड़ राह दिखाए , करे तिमिर का नाश ।।

गुरु सांचे में ढ़ालता , जीवन को दे आकार ।
मंत्र सफलता के बता , सपने करे साकार ।।

बन गुरु श्री कृष्ण ने , दिया गीता का ज्ञान ।
मोह – माया त्याग कर , बना अर्जुन महान ।।

गुरु वशिष्ठ ने गढ़ा राम को , किया असुर संहार ।
गौतम बुद्ध ने संसार में , किया धर्म प्रचार ।।

शिक्षा गुरु से मिले , मिले ज्ञान भंडार ।
करें सदा सम्मान गुरु का , गुरु का हो आभार ।।

निंदक भी होते गुरु , रखो अपने पास ।
वाणी पर हो काबू , हृदय में रखो आस ।।

जिंदगी सबसे बड़ी गुरु , सिखाए सबक हर पल ।
कठिनाइयों से बिना डरे , धैर्य के साथ चल ।।

-नेहा चितलांगिया

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